बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक घरेलू विवाद के मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि जोड़ियां स्वर्ग में नहीं बल्कि नरक में बनती हैं। बॉम्बे हाई कोर्ट के जस्टिस सारंग कोतवाल की बेंच एक व्यक्ति की तरफ से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें एक शादीशुदा जोड़ा साथ रहने को तैयार नहीं था और व्यक्ति के ऊपर पत्नी ने प्रताड़ना और दहेज मांगने का आरोप लगाया था।
कोर्ट के सामने जब मामला पहुंचा तो पाया गया कि दोनों ने एक-दूसरे के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। ऐसे में जस्टिस एस.वी. कोतवाल ने आदेश में कहा कि, शिकायतों से यह मालूम पड़ता है कि पति-पत्नी एक साथ रहने के इच्छुक नहीं हैं। साथ ही सुनवाई के दौरान नाराज जज कोतवाल ने यह भी कहा कि, “जोड़ियां स्वर्ग में नहीं बल्कि नरक में बनती हैं।”
जानकारी के मुताबिक, बीते साल दिसंबर में एक महिला ने अपने पति के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। इसमें पत्नी ने आरोप लगाया था कि जब साल 2017 में उनकी शादी हुई तो ससुराल पक्ष ने घर के हर सदस्य के लिए एक सोने के सिक्के की मांग रखी थी। शादी के बाद जब उनकी यह मांग पूरी नहीं हुई तो ससुराल पक्ष ने उसे प्रताड़ित करना शुरू कर दिया।
शिकायत में पत्नी ने दावा किया कि जिस घर में वह अपने पति व 3 साल के बच्चे के साथ रहती है, उसे खरीदने के लिए भी महिला ने करीब 13 लाख 50 हजार रुपए दिए थे। साथ ही पति ने उसे बुरा दिखाने के लिए जानबूझकर शरीर पर कुछ चोटों के निशान बनाए ताकि यह साबित हो कि महिला ने उसके साथ मारपीट की है।
दूसरी तरफ पति ने अपनी शिकायत में बताया कि शादी के बाद वह पत्नी को घुमाने मॉरीशस ले गया था। साथ ही महंगा फोन भी उपहार स्वरुप दिया था। जहां तक रही घर की बात तो उसके लिए स्वयं उसने 90 हजार का लोन लिया था। पति ने अदालत के सामने कुछ व्हाट्सएप चैट्स भी दिखाकर बताने की कोशिश की थी कि पत्नी उसे लगातार प्रताड़ित कर रही थी।
इस मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस कोतवाल ने कहा कि, यह जिस तरह का मामला है उसमें पति को हिरासत में लेकर मसला हल नहीं होगा। बल्कि अदालत पति को जांच में सहयोग करने को जरूर कह सकती है। ऐसे में अदालत ने मामले में पति को अग्रिम जमानत देते हुए कहा कि क्रॉस एफआईआर के इस केस में फैसला सुनवाई के द्वारा ही किया जाएगा। जस्टिस कोतवाल ने कहा कि, इस केस में अदालत पुलिस को निर्देश देती है कि गिरफ्तारी की स्थिति में पति को एक या एक से अधिक जमानतदारों के साथ 30 हजार रुपयों के मुचलके पर रिहा किया जाए।