जिसे जमानत पर बाहर आना था वो जेल के अंदर ही रह गया और जिसे अभी सजा काटनी थी वो जेल से बाहर आ गया। यह अजीबोगरीब मामला बिहार के सिवान जिले का है। दरअसल यहां गुल मोहम्मद नाम के दो शख्स जेल में बंद थे। इत्तिफाक यह भी है कि दोनों ही डकैती के केस में ही बंद थे। दोनों ने अपने-अपने वकील के जरिए बेल के लिए कोर्ट में याचिका दायर की थी। एडीजे 3 राजकुमार के कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान ओदीखोर गांव के रहने वाले गुल मोहम्मद की याचिका पर पहले सुनवाई करते हुए कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी।

इसके बाद गुल मोहम्मद ने पटना हाईकोर्ट में बेल के लिए अर्जी लगाई। लेकिन इस बीच जेल में बंद दूसरे गुल मोहम्मद को सीवान कोर्ट से जमानत मिल गई। जिस गुल मोहम्मद को जमानत मिली वो सहसराव गांव का रहने वाला था। सहसराव गांव के रहने वाले गुल मोहम्मद को जेल से रिहा करने के लिए रिलीज पेपर जारी किया गया। लेकिन यहां एक बड़ी गलती हो गई।

दरअसल रिलीज पेपर में सहसराव गांव के गुल मोहम्मद की जगह ओदीखोर गांव के गुल मोहम्मद का डिटेल भर दिया गया। यहां बता दें कि जिस कैदी को जेल से बेल पर रिहा किया जाता है उस कैदी के गांव का नाम और पिता का नाम रिहाई के कागजातों पर दर्ज किया जाता है। लिहाजा नाम में कनफ्यूजन के चलते ओदीखोर गांव का गुल मोहम्मद बीते शनिवार (27 जुलाई, 2019) को जेल से रिहा गया जबकि उसे अदालत ने जमानत नहीं दी थी।

इधर बेल मिलने के बाद भी जब असली गुल मुहम्मद बाहर नहीं आया तब उसके परिवार वालों ने अपने वकील से इस बात की शिकायत की। इसके बाद वकील के जरिए पुलिस को सूचना दी गई तब जाकर असली गुल मोहम्मद को बेल पर रिहा किया जा सका। इधर गलतफहमी की वजह से बेल पर बाहर आए दूसरे गुल मोहम्मद ने मंगलवार (30 जुलाई, 2019) को सरेंडर भी कर दिया। (और…CRIME NEWS)