सफलता की एक ही कुंजी होती है कठिन मेहनत। धैर्य के साथ अगर ईमानदारी से मेहनत की जाए तो इंसान सफलता के शिखर तक जरुर पहुंचता है। संघर्ष से ऊंचा मुकाम हासिल करने वाले लोगों के बारे में हम आपको बताते रहे हैं और आज इस कड़ी में बात करेंगे मनोज कुमार रॉय की। मनोज कुमार रॉय कभी सड़क पर अंडे बेचा करते थे। इतना ही नहीं संघर्ष के दिनों में उन्होंने एक ऑफिस में पोंछा भी लगाया। मूल रूप से बिहार के रहने वाले मनोज कुमार रॉय की सफलता की कहानी युवाओं के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं है।
पैसे कमाने और जिंदगी की पटरी को आगे बढ़ाने के लिए मनोज दिल्ली में कभी अंडे बेचते थे तो कभी सब्जी वेंडर बन जाते थे। दिल्ली के एक कार्यालय में मनोज कुमार रॉय पोंछा लगाते थे और उससे होने वाली आमदनी से अपनी जिंदगी गुजारते थे। पढ़ाई-लिखाई में होनहार मनोज कुमार रॉय ने यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा भी दी। चौथे प्रयास में उन्होंने यह प्रतिष्ठित परीक्षा पास कर ली। उनका चयन Indian Ordnance Factory Service (IOFS) officer के तौर पर हो गया।
सरकारी अफसर बनने के बाद भी मनोज कुमार रॉय की चर्चा हर तरफ होती है। दरअसल इसकी वजह है समाज के लिए उनके द्वारा किया जाने वाला बेहतरीन काम। सिविल सर्विस परीक्षा पास करने के बाद मनोज ने कहा था कि ‘जब मैंने चौथे प्रयास में सिविल सर्विस परीक्षा पास किया तब मुझे ख्याल आया उन युवाओं के बारे में जो महंगी कोचिंग में पढ़ाई नहीं कर सकते हैं। इसलिए मैंने फैसला लिया कि मैं उनकी मदद करूंगा।’
मनोज अब गरीब बच्चों की पढ़ाई-लिखाई में मदद करते हैं। वो उन्हें मुफ्त में कोचिंग देते हैं। नालंदा के रहने वाले मनोज की पहली पोस्टिंग राजगीर में हुई थी और वो वहां से हर वीकएंड में पटना आते हैं ताकि गरीब बच्चों को पढ़ाया जा सके।
गरीब औऱ मध्यमवर्गीय परिवार के बच्चों की मदद करने के उनके इस मिशन में उनकी पत्नी भी उनका साथ देती है। मनोज की पत्नी अनुपमा कुमारी भी सरकारी अफसर हैं। पति-पत्नी मिलकर आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को पढ़ाते हैं और उनका भविष्य संवारते हैं। बच्चों को भूगोल और जनरल स्टडीज पढ़ाने वाले मनोज के कई छात्र अब तक विभिन्न परीक्षाओं में सफलता ही प्राप्त कर चुके हैं।