बिहार की राजनीति में बाहुबलियों की फेहरिस्त काफी बड़ी है। खास बात यह भी है कि चुनाव के वक्त राज्य की कोई भी पार्टी को इन बाहुबलियों से परहेज नहीं करती भले ही उनके नाम कितने भी संगीन अपराध से जुड़ा हो। इस कड़ी में आज हम बात कर रहे हैं काली प्रसाद पांडे की। कांग्रेस ने काली प्रसाद पांडे को गोपालगंज की कुचायकोट सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है। काली पांडे को उत्तर बिहार के इलाकों में मजबूत पकड़ के लिए जाना जाता है। कहा जाता है कि न सिर्फ ब्राह्मण बल्कि अन्य समाज में भी अच्छी पकड़ है और रॉबिनहुड की छवि है।
काली प्रसाद पांडे की शख्सियत ऐसी है कि राज्य के कई बाहुबली उन्हें अपना गुरु तक मानते हैं। हालांकि खुद काली प्रसाद अपने आप को कभी बाहुबली नहीं कहते हैं। कहा जाता है कि 1987 में आई रामोजी राव की फिल्म ‘प्रतिघात’ में विलेन ‘काली प्रसाद’ का रोल इन्हीं पर बेस्ड था। 1984 में काली पांडेय गोपालगंज के मैदान में उतरे तो बड़े-बड़ों की सांस फूलने लगी थी। ऐसा तब जबकि काली पांडेय के साथ कोई पार्टी नहीं थी। वे निर्दलीय चुनाव लड़े और संसद पहुंच गए।
साल 1989 में बाहुबली नगीना राय पर पटना में बम से हमला हुआ था। इसके पीछे काली पांडे का हाथ बताया गया। लेकिन इसमें वो बच गए। उस वक्त उन्होंने कहा था कि खुद नगीना राय की पत्नी ने यह माना है कि इस हमले में उनका हाथ नहीं है। काली पांडे ने बाद में राजीव गांधी का सपोर्ट किया और 1989 में कांग्रेस में शामिल हो गए। 1989 और 1991 में काली पांडे ने कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा का चुनाव भी लड़ा। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़कर लालू यादव की आरजेडी जॉइन कर ली और 1999 में लोकसभा का चुनाव भी लड़ा।
कई सालों तक कांग्रेस में रहने के बाद काली पांडे रामविलास पासवान के बुलाने पर लोकजन शक्ति पार्टी में शामिल हो गए थे। एलजेपी में काली पांडे ने कई अहम पदों की शोभा बढ़ाई। हालांकि हाल ही में उन्होंने एलजेपी को छोड़ कांग्रेस का दामन थाम लिया।
काली पांडे को इलाके में दबंग माना जाता है लेकिन अपनी छवि को लेकर हमेशा कहते आए हैं कि इलाके की जनता इसलिए उनसे नहीं डरती क्योंकि वो एक बाहुबली हैं बल्कि इलाके को लोग उनकी इज्जत करते हैं। काबड़ेली पांडे कई मौकों पर कह चुके हैं कि उनपर भले ही बड़े-बड़े आऱोप लगे लेकिन वो कभी साबित नहीं हो पाए हैं।
