देश का एक राज्य बिहार जहां माफियाओं की एक-दूसरे गुटों में लंबी अदावतें चली। इन्हीं अदावतों में एक नाम बिहार के चर्चित डॉन संतोष झा का भी शामिल था। लेकिन किस्मत ऐसी कि कभी अपने ही उस्ताद को मारने वाले संतोष झा की हत्या उसी के चेले रहे मुकेश ने सुपारी देकर कुछ बदमाशों से करा दी थी।

बिहार के शिवहर में जन्मे संतोष झा के पिता ड्राइवर थे और एक रसूखदार आदमी नवल किशोर राय की गाड़ी चलाते थे। परिवार की हालत ठीक नहीं थी इसलिए वह हरियाणा कमाने चला गया। लेकिन कुछ दिन बाद ही संतोष के पिता को नवल किशोर ने थप्पड़ मार दिया तो वह वापस आ गया और नक्सली कमांडर गौरी शंकर झा के साथ जुड़ गया। साल 2001 तक गौरी शंकर झा के सहारे फिर खुद के रुतबे का इस्तेमाल कर संतोष ने वारदातों को अंजाम देना शुरू कर दिया। लेकिन 2004 में उसे पटना में हथियारों के साथ गिरफ्तार कर लिया और उसे तीन साल के लिए जेल भेज दिया गया।

2007 में जेल से बाहर आया तो फिर से गौरी शंकर के साथ जुड़ गया। लेकिन तीन साल बाद ही संतोष, गौरी शंकर झा से अलग हो गया और अपनी गैंग बना ली। संतोष के साथ इस गैंग में उसका एक और साथी मुकेश पाठक था। मुकेश का काम रंगदारी से पैसा इकठ्ठा करना होता था, ऐसे में गौरी शंकर और चिढ़ गया। लेकिन 15 जनवरी 2010 को हल्ला तब मचा जब संतोष ने अपने पिता को थप्पड़ मारने वाले शख्स नवल किशोर राय की हत्या कर दी।

इसके बाद साल 2010 में संतोष ने विधानसभा चुनाव के दौरान पांच पुलिस वालों को मार डाला था, लेकिन सबूत न होने के चलते वह छूट गया। जेल से बाहर आया तो दुश्मनी बढ़ती देख संतोष झा ने गौरी शंकर और उसकी पत्नी को मार डाला। संतोष झा ने इन सालों में इतनी तेजी से अपराधों को अंजाम दिया कि उत्तरी बिहार के कई जिलों (सीतामढ़ी, शिवहर, मोतिहारी, बेतिया, गोपालगंज, दरभंगा और सीवान) में उसके ऊपर हत्या, लूट और रंगदारी के 35 से ज्यादा केस दर्ज हो गए।

साल 2014 की फरवरी में संतोष झा को कोलकाता से बिहार एसटीएफ ने गिरफ्तार कर लिया और जेल भेज दिया। लेकिन जेल में रहते हुए भी उसने 50 लाख की रंगदारी न देने के चलते दो इंजीनियरों की हत्या करवा दी। हत्या में संतोष झा और मुकेश पाठक का नाम सामने आया। इसके बाद 2016 में मुकेश को गिरफ्तार किया और केस चला तो दोनों को आजीवन कारावास की सजा सुना दी गई।

इंजीनियर हत्या मामले में जेल जाने के बाद संतोष झा और मुकेश पाठक के बीच लड़ाई ने जन्म ले लिया, जिसके चलते दोनों को अलग-अलग जेल में भेज दिया। इसके बाद दोनों के गैंग भी अलग हो गए। वहीं साल 2018 में 28 अगस्त की तारीख को संतोष झा को सीतामढ़ी कोर्ट में पेशी के लिए लाया गया था कि तभी बाइक पर सवार कुछ हमलावरों ने पुलिस से घिरे संतोष को गोलियों से भून दिया। उसे अस्पताल ले जाया गया लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

संतोष झा की मौत के पीछे उसके चेले मुकेश पाठक का नाम सामने आया था और पुलिस ने कहा था कि मुकेश ने ही सुपारी देकर यह साजिश रची थी। यह घटनाक्रम जैसे दोहराया सा जा रहा था, क्योंकि जिस तरह संतोष ने अपने गुरु को रास्ते से हटा दिया; वैसे ही इस बार संतोष के चेले ने उसे ही रास्ते से हटा दिया था।