बिहार में बाहुबलियों की दबंगई 90 के दशक में चरम पर थी। क्या सरकार और क्या प्रशासन सब अपनी सरकार चला रहे थे। साल 1994 के 5 दिसंबर की दोपहर में गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी. कृष्णैया एक बैठक में शामिल होने के बाद लौट रहे थे। लेकिन एक ईमानदार छवि का जिलाधिकारी भीड़ के हत्थे चढ़ा और फिर भयानक अनहोनी हुई।
5 दिसम्बर, 1994 को गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी. कृष्णैया, अधिकारियों की एक बैठक में शामिल होने के बाद वापस लौट रहे थे। इसके एक दिन पहले ही 5 दिसंबर को उत्तर बिहार के नामी गैंगस्टर छोटन शुक्ला की हत्या कर दी गई थी। उत्तर बिहार में भारी रोष था और हजारों लोग शव के साथ हाइवे पर प्रदर्शन कर रहे थे। इसी बीच, तत्कालीन डीएम जी. कृष्णैया की लाल बत्ती लगी कार नेशनल हाइवे से गुजरी।
हाइवे पर मौजूद उग्र भीड़ लाल बत्ती लगी कार को देखकर भड़क उठी और पथराव शुरू कर दिया। कार के ड्राइवर और सुरक्षाकर्मी ने डीएम को बचाने की भरपूर कोशिश की लेकिन वह असफल रहे। भीड़ डीएम कृष्णैया को खींचकर कार से बाहर ले गई। कार के ड्राइवर और सुरक्षाकर्मी चीखते रहे कि वह मुजफ्फरपुर के नहीं बल्कि गोपालगंज के डीएम हैं लेकिन खाबरा गांव के पास पीट-पीटकर उनकी हत्या कर दी गई।
दिनदहाड़े हुए एक पद पर तैनात डीएम की हत्या ने पूरे देश में सनसनी फैला दी। मामले में छोटन शुक्ला के भाई पर आरोप लगा कि उसने डीएम के कनपटी पर गोली भी मारी थी। सियासी गलियारों के साथ प्रशासनिक हलके में हड़कंप मच गया। डीएम हत्या मामले में पत्नी की निचली अदालत ने पूर्व सांसद और कोसी इलाके के बाहुबली कहे जाने वाले आनंद मोहन के अलावा पूर्व मंत्री अखलाक अहमद और अरुण कुमार को 2007 में फांसी की सजा सुनाई।
हालांकि, बाद में निचली अदालत के इस फैसले को पटना हाई कोर्ट ने आजीवान कारावास में बदल दिया। इसी हत्या मामले में आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद, छोटन शुक्ला के भाई मुन्ना शुक्ला और दो अन्य को भी उम्रकैद की सजा सुनाई थी। हालांकि, साल 2008 में साक्ष्यों के अभाव में इन्हें बरी कर दिया गया था लेकिन आनंद मोहन को सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली थी।
आईएएस जी. कृष्णैया, तेलंगाना के महबूबनगर के रहने वाले थे। जी. कृष्णैया 1985 बैच के बिहार कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी थे। जब उनकी हत्या हुई तो वह गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी थे। आईएएस जी. कृष्णैया की छवि एक ईमानदार और सादगी पसंद अधिकारियों में होती थी। इसके अलावा आईएएस जी. कृष्णैया अपने कामों के चलते लोकप्रिय भी थे।