जब यह अफसर एक बाहुबली को गिरफ्तार करने पहुंचे तब अपने समर्थकों से घिरे बाहुबली ने उनके साथ चलने से मना कर दिया। तीखी नोंक-झोंक शुरू हुई और फिर काफी देर तक यह हाईवोल्टेज ड्रामा चला। निडर अधिकारी जदयू के इस पूर्व सांसद से डरे नहीं और वहीं डटे रहे। आखिरकार उन्हें दबोच कर पुलिस की गाड़ी में बैठाया और फिर चले गये। हम बात कर रहे हैं निडर आईपीएस अधिकारी कुंदन कृष्णन की।
बता दें कि कुंदन कृष्णन 1994 बैच के बिहार कैडर के आईपीएस हैं। वह मूल रूप से बिहार के नालंदा जिले के रहने वाले हैं और यह जिला यहां के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गृह जिला भी है। कुंदन कृष्णन अपने तेज तर्रार पुलिसिंग के लिए जाने जाते हैं। अपराधियों पर बेखौफ होकर कार्रवाई करने वाले इस अफसर का नाम सुनते ही बड़े-बड़े क्रिमिनल थरथराने लगते हैं। बिहार में नीतीश कुमार के सीएम बनने से पहले राष्ट्रपति शासन में कुंदन कृष्णन को पटना का एसएसपी नियुक्त किया गया था। वो तभी से एक्शन मोड में थे और नए कीर्तिमान बनाते रहे।
बाहुबली नेता से लिया पंगा
किसी जमाने में राज्य के सीएम रहे नीतीश कुमार और पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव के करीबी रहे बाहुबली और शिवहर से सांसद रहे आनंद मोहन से पंगा लेने के लिए कुंदन कृष्णन को जाना जाता है। साल 2006 में एक केस को लेकर देहरादून में आनंद मोहन की पेशी थी। इस केस में पेशी होने के बाद आनंद मोहन पटना पहुंचे। जबकि आनंद मोहन को सीधे सहरसा जेल जाना था क्योंकि वो पहले से ही वहां बंद थे। पटना पहुंचने के बाद आनंद मोहन ने रेलवे स्टेशन के समीप एक होटल लिया और उसमें चेक-इन किया। जब पटना के तत्कालीन एसपी कुंदन कृष्णन को यह बात पता चली तब वो बाहुबली विधायक आनंद मोहन को गिरफ्तार करने अपनी टीम लेकर वहां पहुंच गए। बताया जाता है कि आनंद मोहन और उनके समर्थक पुलिस वालों से भिड़ गए। कहा तो यह भी जाता है कि खुद बाहुबली पूर्व सांसद ने आईपीएस कुंदन कृष्णन पर हाथ उठाने की कोशिश उस वक्त की थी जिसपर आईपीएस अफसर भी आनंद मोहन से भिड़ गए थे।
कैदियों से लड़ गए
साल 2002 में छपरा जेल में रहने वाले कैदियों ने ही जेल पर कब्जा कर लिया, कैदियों ने न सिर्फ पुलिस पर पत्थरबाजी की थी बल्कि जम कर फायरिंग भी की थी। ये घटना 2002 के होली की है। उस वक्त कैदी स्थानांतरण और जेल में मुलाकात के नियमों को लेकर आक्रोशित थे। पटना से लगभग 75 किलोमीटर दूर स्थित छपरा में हुए इस जेल कांड की चर्चा तब पूरे देश में हुई थी। कहा जाता है कि उस वक्त सूचना मिलते ही वहां के तत्कालीन एसपी कुंदन कृष्णन हाथ में एक-47 लेकर कैदियों से भिड़ने के लिए निकल पड़े। जेल को आज़ाद कराने के लिए पुलिस और सीआरपीएफ का सहारा लिया गया। कुल 1200 ऐसे कैदी थे, जिन्होंने जेल पर कब्जा जमा रखा था। जब पुलिस ने भी जवाबी कार्रवाई कर के जेल को कैदियों के चंगुल से छुड़ाया तो इस प्रकरण में 5 कैदी मारे गए। इसमें एसपी कृष्णन का हाथ भी फ्रैक्चर हो गया था।
2016 के बेहद चर्चित दरभंगा इंजीनियर्स मर्डर केस का शार्प शूटर (बिहार का मोस्ट वांटेड क्रिमिनल) मुकेश पाठक ने जब अपने को नेपाल-गुजरात में बेहद सुरक्षित मान लिया था तब कुंदन कृष्णन ने इसे ऐसा छकाया कि झारखंड आकर बिहार के STF के हत्थे चढ़ गया। नीतीश कुमार के सीएम पद पर बैठने के बाद क्राइम कंट्रोल के अहम रोल में कुंदन कृष्णन का नाम आता है। उन्होंने एक के बाद एक बड़े अपराधियों और मोस्ट वांटेड क्रिमिनल्स को शिकंजे में लिया। माना जाता है कि क्रिमिनल्स को तलाशने में कृष्णन के पास मजबूत नेटवर्क शुरू से रहा है।
