साल 1970 में हफ्ता वसूली और जमीन की खरीद में जबरन वसूली से खड़ा हुआ बेंगलुरु का देशी अंडरवर्ल्ड अगले दो दशकों में काफी बदल गया। इस दौरान कई गैंगस्टर पनपे और आतंक मचाया। दूसरी तरफ एमपी जयराज, रामचंद्र कोतवाल के बाद मुथप्पा राय का दबदबा था। जहां एमपी जयराज पहला तो वहीं मुथप्पा राय को बेंगलुरु अंडरवर्ल्ड का आखिरी डॉन माना जाता था।
कर्नाटक में 90 के दशक में कई ऐसे हिस्ट्रीशीटर थे जिनका अंत आपसी गुटबाजी में हुआ था। साल 2000 के अंत में सुनील कुमार नाम के गैंगस्टर का उदय हुआ, लेकिन पुलिस प्रशासन की नजर में वह साल 2005 में आया। सुनील कुमार कई सालों तक पुलिस की नजरों से दूर रहा। इसके पीछे का कारण उसका शांति से वारदात को अंजाम देना और चुपचाप अंडरग्राउंड होना था। स्थानीय पुलिस के मुताबिक सुनील कॉन्ट्रैक्ट किलर के तौर पर काम करता था।
सुनील हत्या का ठेका लेते समय कुछ गुंडों को उधार पर लेता था। इसके कुछ दिनों में ही वह सुनियोजित ढंग से अकेले वारदात को अंजाम देता था और उधार में लिए गए गुंडे उस अपराध के लिए सजा भुगतते थे। साथ ही वह हत्या को इतनी सफाई से अंजाम देता था कि पुलिस के लिए एक सुराग नहीं छूटता था। पुलिस के मुताबिक एक मुखबिर ने बड़ी मुश्किल से प्रशासन को सुनील के बारे में जानकारी उपलब्ध कराई थी।
मुखबिर के मुताबिक, कई सारे विरोधी गुटों ने खुद सुनील कुमार की सुपारी ले रखी थी लेकिन कोई भी उसका कुछ नहीं कर पाया। जिसने भी उसे मारने का प्लान बनाया उसकी दूसरे दिन लाश ही बरामद होती थी। इसी के चलते उसे “साइलेंट सुनील” का नाम दिया गया था। बेंगलुरु के सारे अंडरवर्ल्ड डॉन ‘साइलेंट सुनील’ को बेंगलुरु का बेस्ट हिटमैन और सबसे खूंखार कॉन्ट्रैक्ट किलर बताते थे।
कई सालों तक सन्नाटे में काम करने के बाद 2005 में जब बेक्कीना कन्नू राजेंद्र की हत्या हुई थी, तब साइलेंट सुनील का नाम सामने आया था। बेक्कीना कुन्नू की हत्या को चालुक्य होटल में अंजाम दिया गया था और इस मामले में साइलेंट सुनील को 10 साल की सजा सुनाई गई थी। जेल में जाने के बाद सुनील का गिरोह खत्म होने लगा तो उसने परप्पना अग्रहारा जेल के अंदर से बैठे-बैठे ही जबरन वसूली का काम शुरू किया।
सुनील जब जेल में था तभी गैंगस्टर लंबू नाटी, भरत राज और रवि की मल्लेश्वर होटल में उसके गुर्गों की हत्या कर दी। इस हत्या ने साइलेंट सुनील का खौफ और बढ़ा दिया। इस मामले के चलते वह जेल चला गया। 2017 में उसका नाम एक डकैती में भी सामने आया। जिसमें सुनील सहित नौ लोगों को पूछताछ के लिए जेल से ही हिरासत में लिया गया। इस मामले में उस पर आर्म्स एक्ट और कर्नाटक कंट्रोल ऑफ ऑर्गनाइज्ड क्राइम एक्ट (KCOCA) लगाया गया था।
हालांकि, उसने इस मामले में कोर्ट में अपील की तो उसे हाई कोर्ट से जमानत मिल गई क्योंकि कोर्ट ने यह मान लिया था कि वह घटना के वक्त जेल में ही था। एक वक्त का खतरनाक गैंगस्टर और खूंखार कॉन्ट्रैक्ट किलर साइलेंट सुनील अब कारोबारी के रूप में बदल चुका है। वह महानगर पालिका के टेंडर के अलावा फिल्म उद्योग के कामों में भी निवेशक की भूमिका में स्थापित हो चुका है।