आज बात एक ऐसे सीरियल किलर जो कभी चौकीदार हुआ करता था। जिसका काम आम लोगों की अपराधियों से सुरक्षा व देखरेख का होता है। लेकिन आंध्र प्रदेश का वेलांकी सिम्हाद्री शिवा जब जरायम की दुनिया में आया तो लोगों के बीच खौफ का दूसरा नाम बन गया। वह लोगों को भाग्य उदय के सिक्के के नाम पर भरमाता और फिर प्रसाद में सायनाइड मिलाकर दे देता। इसी तरह उसने दो साल में 10 लोगों को मार डाला।

आंध्र प्रदेश के पश्चिमी गोदावरी जिले में रहने वाला शिवा एक बिल्डिंग में चौकीदार था। पुलिस के मुताबिक, शिवा ‘भाग्य उदय के लिए चमत्कारी सिक्के’ बेचने का काम करता था। जो चावल को अपनी ओर खींच लेता था। पुलिस का मानना था कि यह एक दुर्लभ धातु से बने सिक्के होते हैं, जो कॉपर व इरीडियम धातुओं से मिलकर बनते हैं। चुंबकीय गुण के कारण इनका इस्तेमाल सैन्य क्षेत्र व अंतरिक्ष संबंधी शोध कार्यों में होता है।

शिवा ने इन्हीं सिक्कों के बारे में फैली अफवाह को अपराध का आधार बनाया। अफवाह थी कि जिसके पास यह सिक्का होगा वह अमीर बन जाएगा। लोग शिव से इन सिक्कों को हासिल करने के लिए कीमत देने लगे, लेकिन उसके दिमाग में कुछ और ही पक रहा था। वह इन सिक्कों के नाम पर लोगों को फंसाता और फिर धार्मिक अनुष्ठान के बाद सौंपने का वादा करता।

इसी क्रम में लोगों को मन-मुताबिक जगह पर बुलाता और फिर प्रसाद में सायनाइड मिलाकर लोगों को दे देता। इसके बाद मृत लोगों से नकदी और गहने लूटकर फरार हो जाता था। इस तरह उसने दो सालों के भीतर करीब 10 लोगों को मौत के घाट उतार दिया। हालांकि, एक मामले में हुई कारोबारी काति नागार्जुन की हत्या के बाद कॉल डिटेल और सीसीटीवी फुटेज के चलते वह दबोच लिया गया था। तभी उसने सारी कहानी बताई थी।

पुलिस ने शिवा के साथ उसके 60 साल के साथी शेख अमीनुल्लाह को भी गिरफ्तार किया था, जो शिव को सायनाइड की सप्लाई करता था। दरअसल, अमीनुल्लाह का छोटा भाई मोटरसाइकिल के स्पेयर पार्ट बनाने की यूनिट चलाता था और इसके लिए उसने कानूनी तरीके से सायनाइड हासिल किया था। अमीनुल्लाह अपने भाई की जानकारी के बिना उसकी कंपनी के नाम पर सायनाइड खरीदता और शिवा को दे दिया करता था।