कांग्रेस सांसद राहुल गांधी द्वारा वायनाड में दिए गए बयान को उदयपुर मर्डर के संबंध में पेश करने के मामले ने इतना तूल पकड़ा कि जी न्यूज के टीवी एंकर रोहित रंजन के खिलाफ शनिवार को जयपुर में केस दर्ज हो गया। टीवी एंकर पर आरोप है कि उन्होंने जानबूझकर बयान को ऐसे पेश किया ताकि लगे कि राहुल गांधी ने उदयपुर हत्याकांड के आरोपियों को ‘बच्चा’ कहा और उन्हें ‘माफ करने’ की बात कही है।

अब इस मामले में आईपीसी की धारा 504, 505, 153ए, 295ए, 120बी तथा आईटी एक्ट के तहत मामला दर्ज करवाया है। ऐसे में उन मुख्य धाराओं के बारे में जान लेते हैं कि आखिर किस तरह के आरोपों में इन धाराओं में केस दर्ज किया जाता है।

आईपीसी की धारा 504: भारतीय दंड संहिता की धारा 504 के अनुसार, यदि कोई भी व्यक्ति जानबूझकर किसी अन्य को बेइज्जत करने के इरादे से, शांति भंग करने के लिए उकसाता है जिससे कोई अपराध हो जाए या होने की आशंका हो तो उस व्यक्ति पर धारा 504 के तहत मामला दर्ज किया जाता था। ऐसे मामलों में एक अवधि से दो सालों तक सजा और आर्थिक दंड का प्रावधान है। अपराध के कारण ज्यादा हानि पर दोनों दिया जा सकता है।

क्या है धारा 505: आईपीसी की धारा 505 में उन अपराधों को सम्मिलित किया गया है, जिनमें अलग-अलग समुदायों के बीच दुश्मनी, नफरत या वैमनस्य की भावनाएं पैदा करने के लिए किसी झूठी को प्रचारित-प्रसारित करने का काम किया गया हो। इन धाराओं में दर्ज अपराध गैर-जमानती होता है, जिनमें तीन साल की सजा व आर्थिक दंड या फिर दोनों दी जा सकती है।

धारा 153 ए: देश में कोई भी व्यक्ति यदि किसी धर्म, जाति और समुदाय या संप्रदाय अथवा किसी धार्मिक भावनाओं को आहत करने जैसा कोई काम करता है और उस कारण सामाजिक शांति में दखल उत्पन्न होता है तो उसे आईपीसी की धारा 153 ए के तहत दोषी माना जाता है। यह धारा किसी एक व्यक्ति या समूह दोनों पर लागू होती है। इस अपराध के लिए दो तरह की सजा का प्रावधान है, जिसमें दंगा और उपद्रव हो जाने पर एक साल या फिर अधिकतम पांच साल तक की सजा या आर्थिक दंड या दोनों, जबकि दंगा/उपद्रव न होने की स्थिति में छह माह तक की सजा, आर्थिक दंड या दोनों का प्रावधान है।

IPC की धारा 295 ए: भारतीय दंड संहिता की धारा 295 ए के तहत अगर कोई व्यक्ति भारतीय समाज के किसी भी वर्ग के धर्म या उनकी धार्मिक भावनाओं को आहत करने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कोई काम कार्य करता है या फिर इस संदर्भ में कोई बयान देता है तो उसे धारा 295 ए के तहत दोषी माना जाएगा। इसमें दोषी व्यक्ति को दो या फिर अधिकतम तीन साल की सजा व आर्थिक दंड का प्रावधान है। साथ ही अपराध की गंभीर श्रेणी में दोषी पर सजा और आर्थिक दंड दोनों लगाए जा सकते हैं।

क्या है धारा 120 बी: किसी भी अपराध को अंजाम देने या उसकी साजिश में शामिल होने के मामले में उस व्यक्ति को धारा 120 बी के तहत दोषी माना जाता है। कानून के मुताबिक, किसी भी अपराध को अंजाम देने वाला जितना दोषी होता है उतना ही गुनाह उस अपराध में शामिल व्यक्ति का होता है। इस धारा के तहत साजिश में शामिल शख्स के मुख्य आरोपी के गंभीर अपराधों के बराबर सजा का प्रावधान है, जबकि अन्य मामलों में यह सजा छह महीने की कैद या जुर्माना या दोनों हो सकते है।