अपराध और अपराधियों का अपना इतिहास रहा है। हर अपराध के पीछे एक कहानी होती है, सीरियल किलर के ज्यादातर मामले सनकीपन से संबंधित होते हैं। दिमागी रुप से विक्षिप्त लोग अपनी कुंठाओं को मिटाने के लिए इस तरह के जघन्य अपराध को जन्म देते हैं। इसी कड़ी में आज आपको दुनिया की पहली सीरियल किलर फैमिली के बारे में बताने जा रहे हैं।

1850 और 1870 के दशक में दुनिया में उथल पुथल मची हुई थी। लोग एक देश छोड़कर दूसरे की तरफ जा रहे थे इसी कड़ी में यूरोप से बड़ी तादाद में लोग अमेरिका पहुंच रहे थे। इनमें से ज्यादातर लोग व्यापारी वर्ग से थे। इसी दौरान जर्मनी से एक परिवार 1870 में कैंसास पहुंचा, परिवार ने वहां पहुंचकर खेती के इरादे से 160 एकड़ जमीन खरीदी। परिवार में जॉन बेंडर्स, पत्नी, एक 20 साल का बेटा और 18 साल की बेटी शामिल थी। जमीन पर उन्होंने एक 2 कमरों का घर बना लिया और पूरा परिवार वहां रहने लगा। इतिहास में इस परिवार ब्लडी बेंडर्स के नाम से जाना जाता है।

जॉन बेंडर्स को अंग्रेजी बिल्कुल नहीं आती थी, पत्नी टूटी फूटी भाषा में बात कर लेती थी। बेटा भी कुछ शब्दों का इस्तेमाल करके अपनी बात सामने वाले को समझा देता था लेकिन बेटी फर्राटेदार अंग्रेजी बोला करती थी। जिस हिस्से में उनका खेत और घर था। वह उस रास्ते का आखिरी मकान था, उससे कुछ दूरी पर घना जंगल और नदी थी। यहां से अक्सर व्य़ापारी गुजरा करते थे। चूंकि खेती के अलावा आय का कोई जरिया नहीं था तो परिवार के लोगों ने घर के बाहर ही कुछ टेबल चेयर और फल-फूल रखकर यात्रियों के लिए एक छोटा सा सराय बना दिया। जहां वह खाने पीने की चीजें भी बेचा करते थे।

बेंडर्स फैमिली के वहां बस जाने के बाद अगले दो से तीन सालों में कई बार लोगों के गायब होने की सूचना मिली। लेकिन बेंडर्स फैमिली की तरफ किसी का ध्यान नहीं गया, क्योंकि वह अपने आप को धार्मिक प्रृवति का दर्शाते थे। पड़ोंसियों का कहना था कि पत्नी आत्माओं से भी बात करती है।

1873 में कैन्सेस के सिनेटर मिस्टर यॉर्क और यूएस मिलिट्री में कर्नल एलेक्जेंडर एम यॉर्क के भाई डॉक्टर विलियम यॉर्क गायब हो गए। बेहद रसूखदार परिवार से ताल्लुक रखने वाले यॉर्क परिवार ने उनकी तलाश शुरू की। पूछताछ के दौरान उन्हें पता चला कि आखिरी बार उन्हें बेडर्स फैमिली के ढाबे के बाहर देखा गया था। बेंडर्स परिवार से पूछताछ की गई तो उन्होंने भी बताया कि वह यहां आए थे लेकिन यहां से कहां गए इसकी जानकारी नहीं।

कर्नल को बेंडर्स परिवार पर शक हुआ, उन्होंने पड़ोसियों से जानकारी जुटानी चाही तो कुछ अटपटे व्यवहार की जानकारी मिली। शक के बिनाह पर जब फिर से पूछताछ हुई तो पाया कि पत्नी और बेटी के बयानों में जबरदस्त अंतर है। बेडर्स फैमिली को पूरी तरह को गिरफ्त में लेने के लिए कर्नल ने अपने साथियों को और सबूत जुटाने के आदेश दिए और कागजी कार्रवाई के लिए चले गए। इस पूरी प्रक्रिया में उन्हें एक हफ्ते का समय लग गया।

एक हफ्ते बाद कर्नल अपनी टीम के साथ दबिश देने के लिए जब बेंडर्स फैमिली के घर पहुंचे तो पता चला कि परिवार दो तीन दिनों से लापता है औऱ बिना किसी सूचना के चला गया है।  छानबीन के इरादे से कर्नल जब घर में दाखिल हुए तो उन्हें इंसानी मांस के सड़ने की बू आने लगी। घर के अंदर जगह खून के छीटें शक को यकीन में बदलने लगे। एक गुप्त कमरा भी मिला था, ऐसा कहां जाता है कि उसी कमरे में कत्ल को अंजाम दिया जाता है।

घर के बाहर लगे पेड़ पर ध्यान गया तो ऐसा लगा कि कुछ दिनों पहले ही पेड़ की मिट्टी को खोदा गया है। उन्होंने सभी सेब के पेड़ों के आस पास की मिट्टी खोदने का आदेश दिया। जिसमें में उन्हें अपने भाई के अलावा कुल 11 लाशें मिलीं। सभी लाशों में सिर, धड़ से अलग मिला। सिर्फ एक बच्ची की लाश सिर के साथ मिली और जांच में ऐसा पाया गया कि उसे जिंदा ही दफना दिया गया था।

सरकार ने बेंडर्स फैमिली को पकड़वाने के लिए 60 हजार डॉलर के ईनाम का ऐलान किया। लेकिन फिर भी वह कभी गिरफ्त में नहीं आए। बेंडर्स फैमिली के घर के पास की नदी से भी 10 सिर कटे शव मिले थे। ऐसा माना जाता है कि परिवार ने मिलकर 21 लोगों को मौत के घाट उतारा था। इन हत्याओं में सभी के सिर पर किसी भारी चीज से वार किया गया था फिर गर्दन काट कर दफ्ना दिया गया था।