इलाहाबाद विश्वविद्यालय परिसर में 11 जुलाई को एक स्नातक छात्र की मौत के एक दिन बाद हुई कथित हिंसा के संबंध में छह लोगों सहित कई लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया था कि विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने छात्र आशुतोष दुबे को समय पर मेडिकल सहायता मुहैया नहीं कराई थी। इससे उस छात्र की मौत हो गई। विश्वविद्यालय ने तमाम आरोपों से इनकार किया है।
महिलाओं-शिक्षकों पर रॉड से हमला, लूट और उपद्रव का आरोप
छात्रों समेत स्थानीय लोगों के एक समूह ने बुधवार को विरोध प्रदर्शन करते हुए विश्वविद्यालय परिसर में जमकर हंगामा किया। आरोप है कि प्रदर्शनकारियों ने पत्थर फेंके और महिलाओं समेत शिक्षकों पर लोहे की छड़ों से हमला किया। कुछ शिक्षकों ने प्रदर्शनकारियों पर उनसे नकदी और आभूषण छीनने का भी आरोप लगाया। एक अधिकारी ने कहा, “प्रदर्शनकारियों ने विभिन्न विभागों के फर्नीचर को नुकसान पहुंचाया और दस्तावेजों को फाड़ दिया।”
कर्नलगंज थाने में IPC की इन धाराओं में दर्ज किया गया मामला
विश्वविद्यालय प्रशासन ने गुरुवार देर शाम कर्नलगंज थाने में इस उपद्रव की शिकायत की। पुलिस ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 147 (दंगा), 336 (दूसरों के जीवन या सुरक्षा को खतरे में डालना), 353 (लोक सेवक को उसके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल) और 392 (डकैती) के तहत प्राथमिकी दर्ज की। पता चला है कि आरोपी के खिलाफ संपत्ति क्षति अधिनियम भी लगाया गया है।
पूर्व छात्र अजय सिंह यादव उर्फ अजय सम्राट पर कथित हिंसा का आरोप
इस मामले में शिकायतकर्ता राकेश सिंह ने आरोप लगाया कि पूर्व छात्र अजय सिंह यादव उर्फ अजय सम्राट ने कथित हिंसा में शामिल प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व किया था। विश्वविद्यालय की जनसंपर्क अधिकारी जया कपूर ने कहा कि ये लोग नियमित रूप से किसी न किसी कारण से विश्वविद्यालय परिसर में उपद्रव मचा रहे थे। उन्होंने कहा, “हिंसा में शामिल पाए गए छात्रों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।” कर्नलगंज थाना प्रभारी बृजेश सिंह ने कहा कि मामले में अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। उन्होंने कहा, “परिसर में स्थिति नियंत्रण में है।”
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क्या है इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र आशुतोष दुबे की मौत का पूरा मामला
प्रयागराज के हंडिया इलाके के रहने वाले आशुतोष दुबे मंगलवार को पानी पीने के लिए कूलर के पास गए तो जमीन पर गिर पड़े। साथी छात्र उसे अस्पताल ले गए जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया। यूनिवर्सिटी का दावा है कि मामले की जानकारी होने पर मौके पर एंबुलेंस भेजी गई, लेकिन तब तक छात्र को अस्पताल ले जाया जा चुका था। छात्रों का दावा है कि अगर एंबुलेंस समय पर पहुंच जाती तो आशुतोष की जान बच सकती थी।