प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन अगेंस्ट सेक्सुअल ऑफेंस (POCSO) के तहत निचली अदालत से दोषी ठहराए गए एक शख्स को पिछले दिनों बॉम्बे हाईकोर्ट ने अक्ल दाढ़ को पुख्ता सबूत न मानते हुए बरी कर दिया। जस्टिस अनुजा प्रभुदेसाई ने इस मामले में फैसला देते हुए कहा कि सिर्फ अक्ल दाढ़ का न होना रेप पीड़ित की छोटी उम्र साबित करने के लिए पुख्ता सबूत नहीं माना जा सकता है। इसके लिए उन्होंने चिकित्सा न्यायशास्त्र किताब का हवाला दिया।
क्या है अक्ल दाढ़ और उम्र का संबंध
जस्टिस प्रभुदेसाई ने अपने फैसले में मेडिकल फैक्ट्स के आधार पर कहा कि बच्चों की 12 से 14 साल की उम्र में दूसरी दाढ़ निकलती है और तीसरी दाढ़ या अक्ल दाढ़ निकलने की उम्र 17 से 25 साल के बीच होती है। उन्होंने साफ कहा कि अक्ल दाढ़ का निकलना अधिक से अधिक यह बता सकता है कि व्यक्ति की उम्र 17 साल या उससे अधिक है। इससे उलट अक्ल दाढ़ का नहीं निकलना या उसका मौजूद नहीं होना व्यक्ति की उम्र 18 साल से कम होने का पुख्ता सबूत नहीं हो सकता है।
क्या है पॉक्सो एक्ट से जुड़ा मामला
महरबान हसन बाबू खान ने रेप और POCSO एक्ट के मामले में दोषी पाए जाने और सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी। उत्तर प्रदेश के रहने वाले खान पर शादी का झांसा देकर पीड़ित से शारीरिक संबंध बनाने का आरोप लगाया गया था। पीड़ित लड़की के वकील के मुताबिक वह 19 दिसंबर 2000 को पैदा हुई थी। उसने 25 मार्च 2016 को बाबू खान को बताया था कि वह गर्भवती है। महरबान हसन बाबू खान ने अपने घर से वापस रायगढ़ लौटने पर उससे शादी करने का वादा किया था।
शादी से मुकरने पर पीड़ित ने दर्ज कराई शिकायत
वादे के मुताबिक शादी नहीं करने और उससे किनारा करने की कोशिश करने से परेशान पीड़ित ने उसके खिलाफ पॉक्सो एक्ट में शिकायत दर्ज कराई थी। मामला दर्ज करने के बाद आरोपी खान को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। साल 2019 में ही डेंटिस्ट ने क्लिनिकली और रेडियोग्राफिक दोनों तरह से पीड़ित की उम्र जांच के बाद अपनी रिपोर्ट में कहा था कि अक्ल दाढ़ या तीसरी दाढ़ नहीं मिलने के आधार पर उसकी उम्र लगभग 15 से 17 साल हो सकती है। डेंटिस्ट की गवाही पर ही महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले की स्पेशल कोर्ट ने 18 दिसंबर 2019 को बाबू खान को दोषी ठहराया था।
किन आधारों पर रद्द हुई सजा
दोबारा सुनवाई के दौरान क्रॉस एग्जामिनेशन में डेंटिस्ट ने स्वीकार किया कि 18 साल की उम्र के बाद भी किसी समय अक्ल दाढ़ निकल सकती है। वहीं, आरोपी बाबू खान ने कहा कि उत्तर प्रदेश से रायगढ़ लौटने पर लड़की उसे नहीं मिली। वह लड़की से शादी करना और बच्चे को अपनाना चाहता था लेकिन तब तक पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया और हालात बदल गए थे। जस्टिस प्रभुदेसाई ने कहा कि रेप पीड़ित की उम्र साबित करने के लिए अभियोजन पक्ष ने गवाहों की जांच नहीं की थी। इसलिए निजली अदालत से दोषी मानकर दी गई सजा को रद्द किया जाता है और आरोपी को बरी किया जाता है।