मौत जब आती है बताकर नहीं आती। अहमदाबाद से आई इस रिपोर्ट के बारे में जानकर ऐसा ही महसूस होता है। यहां तीन दोस्त देर रात को चाय पीने गए थे। इसके बाद वे इस्कॉन ब्रिज पर गए थे। इसी फ्लाईओवर पर देर रात डंपर और ट्रक के बीच टक्कर हुई थी। उन्हें क्या पता था कि उनके साथ खुद हादसा हो जाएगा। जब वे इस्कॉन ब्रिज पर थे तभी 150 की स्पीड में आई जगुआर ने उन्हें अन्य 6 लोगों के साथ कुचल दिया। गौरतलब है कि गुरुवार को हुए इस्कॉन ब्रिज हादसे में 9 लोगों की मौत हो गई और 13 अन्य लोग घायल हो गए।

दरअसल, मृतकों में 21 साल का अक्षर पटेल एमबीए कोर्स में एडमिशन लेना चाहता था। वह एडमिशन फॉर्म भरने के लिए बुधवार को बोटाद से अहमदाबाद आया था। फॉर्म भरने के बाद वह उसी दिन घर लौटने चाहता था। हालांकि, अहमदाबाद में रहने वाले उसके दो दोस्तों ने उससे कहा कि वह रात को उनके पास ही रुक जाए और अगले दिन घऱ लौट जाए। वह उनकी बात मान गया।

माता-पिता को नहीं है बेटे की मौत की खबर

इसके बाद तीनों दोस्त देर रात चाय पीने के लिए बाहर निकले थे। जब इस्कॉन ब्रिज पर हादसा हुआ तो वे भी घटनास्थल पर चले गए। वे इस्कॉन ब्रिज पर हादसे वाली जगह पर खड़े थे। तभी तेज स्पीड में जगुआर आई और तीनों को रौंदते हुए चली गई। इस तरह तीनों की मौत हो गई। अक्षर के माता-पिता को अभी उसकी मौत की खबर नहीं दी गई है। उसके माता-पिता को उसके घऱ लौटने का इंतजार है। उन्हें नहीं पता है कि उनका बेटा अब इस दुनिया में नहीं है।

इस तीनों दोस्तों का देर रात चाय के लिए बाहर निकलना और इस्कॉन फ्लाईओवर पर जाना मौत की वजह बन गई। करीब 1.15 बजे के आसपास 150 किमी/घंटा से अधिक स्पीड में आ रही जगुआर ने अन्य 6 लोगों के साथ उन्हें कुचल दिया। रिपोर्ट के अनुसार, जगुआर को 19 साल का ताथ्य पटेल चला रहा था। इस हादसे में अक्षर और उसके दोनों दोस्त क्रुणाल डोडिया (24) और रौनक विहालपारा (23) भी मारे गए। दोनों दोस्त बोटाद के ही रहने वाले थे। वे अहमदाबाद में नौकरी के साथ-साथ पढ़ाई कर रहे थे।

माता-पिता को मोबाइल और टीवी से रखा दूर

गुरुवार को सोला सिविल अस्पताल के पोस्टमॉर्टम रूम के बाहर मृतक अक्षर के चाचा नरेंद्र पटेल ने कहा कि माता-पिता को उसकी मौत की सूचना नहीं दी गई है। “हमने परिवार के एक सदस्य को उन्हें टीवी और गैजेट्स से दूर रखने के लिए कहा है। उन्हें हादसे की जानकारी है। हालांकि उन्हें यह पता है कि वह घायल है औऱ उसका इलाज चल रहा है। हम अक्षर के शव को उसके अंतिम संस्कार के लिए बोटाद ले जाएंगे। इसके बाद ही अक्षर के माता-पिता को उसके निधन के बारे में पता चलेगा।

नरेंद्र ने आगे कहा कि अक्षर के पिता अनिलभाई के पास कोई रोजगार नहीं है। वे आजीविका के लिए खेती करते हैं। अक्षर ने अहमदाबाद से बीबीए किया था। तभी उसकी दोस्ती क्रुनाल और रौनक से हुई थी। तीनों अच्छे दोस्त थे। वे पहले एक ही हॉस्टल में रहते थे।

मां को नहीं है मौत की खबर, पिता नहीं कर किसी से बात

रिपोर्ट के अनुसार, रौनक के पिता राजेशभाई विहालपारा को उनके बेटे की मौत के बारे में जानकारी है जबकि उसकी मां को नहीं बताया गया है। रौनक के पिता ने किसी से भी बात करन से इनकार कर दिया है। वे बेटे की मौत का गम बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं। रौनक अहमदाबाद के सिल्वर ओक कॉलेज में कंप्यूटर इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था। रौनक के पिता के दोस्त ने कहा, “हमें रात करीब 1.40 पर एक दोस्त का फोन आया। जिसके बाद हम अहमदाबाद के लिए रवाना हुए और सुबह करीब 6 बजे यहां पहुंचे। हमें बताया गया कि रौनक की मौके पर ही मौत हो गई।” वहीं, कुणाल ने दो महीने पहले ही वासना के एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाना शुरू किया था। वे बीएससी स्नातक थे। उनके मामा महेंद्रभाई पटेल ने अस्पताल में कहा कि वह दो दिन पहले ही एक नए पीजी में रहने गया था।

इस मामले में सोला सिविल अस्पताल की चिकित्सा अधीक्षक डॉ. दीपिका सिंघल ने कहा कि अस्पताल को तड़के करीब 2.45 पर शव मिलने शुरू हुए। आठ को मौके पर ही मृत घोषित कर दिया गया था और नौवें व्यक्ति की अस्पताल में मौत हो गई थी। इस तरह तीन दोस्तों की जिंदगी एक साथ खत्म हो गई।