कुछ दिनों पहले तक अमेरिका में डेमोक्रेटिक पार्टी के पूर्व उपराष्ट्रपति जो बाइडेन राष्ट्रपति चुनाव के दौड़ से एक दम बाहर लग रहे थे। मगर उस दिन हुए चौदह राज्यों के प्राइमरीज में उन्हें दस राज्यों में सफलता मिली। अब लगने लगा है कि तीन नवंबर को होने वाले चुनाव में बाइडेन ही ट्रंप को टक्कर देंगे। होना भी यही चाहिए, क्योंकि यही वे प्रत्याशी हैं, जिन्हें बदनाम करने की साजिश की गई थी। उक्रेन सरकार पर दबाव डाला गया। परिणामस्वरूप ट्रंप को महाभियोग का सामना करना पड़ा। इसलिए ट्रंप भी नहीं चाहते हैं कि इनके साथ उनका मुकाबला हो। जिस तरह से अरबपति माइक ब्लूमबर्ग ने मुकाबले से निकलते हुए बाइडेन को समर्थन देने का ऐलान किया है। उसी तरह से सिनेटर बर्नी सैंडर्स को भी एकता दर्शाते हुए आपसी मुकाबला से हट कर उग्र राष्ट्रवादी ट्रंप को कैसे मात दिया जा सके, इस पर विचार किया जाना चाहिए ।
’जंग बहादुर सिंह गोलपहाड़ी,जमशेदपुर

समझौते के बाद
हाल ही में अमेरिका जैसे शक्ति-संपन्न देश ने तालिबान से शांति समझौता किया है। तालिबान काफी पहले से ही अफगानिस्तान की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभा कर विश्व परिदृश्य में अपनी छाप छोड़ना चाहता है। इस समझौते के बाद अफगान में तालिबान की जड़ें और मजबूत होंगी। इससे भारत की अफगानिस्तान में आर्थिक गतिविधियां तो प्रभावित होंगी ही, साथ ही साथ सीमापार आतंकवाद की समस्या भी बढ़ेगी। अब देखना यह होगा कि यह समझौता भारत, अफगानिस्तान और विश्व में स्थायी शांति लाने में कहां तक सफल होता है?
’राजीव कुमार वर्मा, खीरी, उप्र