आपदाएं आमतौर पर अनपेक्षित घटना होती हैं जो मनुष्य के नियंत्रण से बाहर होती हैं और आमतौर पर उसे प्राकृतिक माना जाता है, लेकिन उसके लिए अक्सर मानवीय कारक भी जिम्मेदार होते हैं। बहरहाल, जब कभी भी किसी क्षेत्र में आपदा आती है तो सरकार युद्ध स्तर पर बचाव कार्य करती है और मानव जीवन को सुरक्षित करती है, लेकिन अधिकतर सरकारें ऐसे संकट की घड़ी में जानवरों को बचाने के लिए कोई खास प्रयास करती नजर नहीं आते हैं।
इसके चलते भूकंप, बाढ़, भूस्खलन जैसी आपदाओं में पशुओं का जीवन चक्र समाप्त हो जाता है। इसलिए सरकारों को चाहिए कि वह जैव विविधता के महत्त्व को ध्यान में रखते हुए इनके बचाव के लिए भी हर संभव प्रयास करें।
’सौरभ बुंदेला, भोपाल, मप्र
कहां जाएं
वैश्विक महामारी के इस कठिन काल-खंड में जन आंदोलन से हट कर सोशल मीडिया के माध्यम से युवा सरकार को चेताने के लिए डिजिटल अभियान का सहारा ले रहे हैं। उनके मुताबिक प्रधानमंत्री अपने मन की बात में वास्तविक समस्याओं को दूर करने के रास्ते बताने के बजाय केवल खिलौना बनाने जैसी मन बहलाने की बाते कर रहें हैं। क्या युवाओ को अच्छे दिनों का यही तोहफा मिलना था?
नौकरी के लिए भर्ती की कई परीक्षाओं के लिए पिछले तीन साल से अब तक के अभ्यर्थियों को इंतजार करना पड़ रहा हैं। बिहार चुनावों में बहुमत पाने की मंशा से सरकार ने 2019 में रेलवे की करीब एक लाख भर्तियां निकाली थीं, लेकिन अभी तक परीक्षा की कोई सूचना नहीं हैं। अभ्यर्थी आखिर क्या करे, कहां जाएं?
’मुकेश कुमावत, जयपुर, राजस्थान
