सुषमा स्वराज ने लोकसभा में शोरशराबे के बीच विपक्ष के सवालों का जिस आत्मविश्वास, सटीक तर्कशक्तिऔर वक्तृता से जवाब दिया, उससे यह विश्वास पक्का हो गया कि एक लोकप्रिय, सफल और अच्छे राजनेता के लिए ‘भाषण-निपुण’ होना कितना जरूरी है।
सदन में पिछले लगभग दो सप्ताह के दौरान जो कुछ भी हुआ उसे अगर लोकतंत्र की अपेक्षा, अनिवार्यता या विशेषता समझ कर भुला भी दिया जाए, मगर ग्लानि इस बात की है कि लोकतंत्र और लोकतंत्र के सबसे उच्च सदन को अखाड़ा बना कर विपक्ष ने जो भूमिका निभाई, उसे देख कर भूटान से पधारे सांसदों ने भारत जैसे शांति-प्रिय देश के बारे में मन में जाने क्या धारणा बनाई होगी?
राज्यसभा सभापति हामिद अंसारी ने जब भूटान से आए सांसदों के शिष्टमंडल का सदन में स्वागत करते हुए यह आशा जताई कि ‘यहां आपको हमारी संसदीय प्रणाली के बारे में बहुत कुछ सीखने को मिलेगा’ तो सुना है कि सारा सदन ठठा कर हंस दिया जैसे यह कोई चुटकुला हो!
शिबन कृष्ण रैणा, अलवर
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