धर्म आस्था का स्थान हमारे जीवन का निजी मामला है। जब भी कट्टरपंथ समाज धर्म पर आधारित राजनीति करने लगता है, तब समाज में वैमनस्यता और तनाव बढ़ता है। जितने भी कट्टर धार्मिक देश हैं, वे हर क्षेत्र में बाकी देशों से पिछड़े हुए पाए जाते हैं। पड़ोसी पाकिस्तान को देखें, तो वहां धर्म के नाम पर लोग मरने-मारने पर तुले हुए रहते हैं।

ईशनिंदा के नाम पर धार्मिक अल्पसंख्यकों को हमेशा डरा कर रखा जाता रहा है। इसी इस ईशनिंदा का कानून का इस्तेमाल वहां के पूर्व केंद्रीय मंत्री ख्वाजा आसिफ पर किया गया है। इनका दोष इतना ही था की उन्होंने सभी धर्मों को बराबर कह दिया था। शिकायत करने वाला और कोई नहीं, बल्कि इमरान खान का तहरीके-इंसाफ पार्टी के सदस्य ने किया है।

इस पार्टी ने सत्ता में आने से पहले पाकिस्तान में हर किस्म की रूढ़ि को खत्म करने की बात की थी। जबकि धर्म की ताकत का उसी समय पदार्फाश हो गया, जब कोविड महामारी के दौरान दुनिया भर के मौलवी, पुरोहित और फादर और उनके उपासना स्थल बचाव नहीं बचाव कर सके।
’जंग बहादुर सिंह, गोलपहाड़ी, जमशेदपुर

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