मौजूदा महामारी के संकट से तो काफी हद तक देश मुकाबला कर ही रहा है, लेकिन एक अन्य समस्या से संबंधित खबरें आए दिन सुन कर दिल दुखी होता रहता है। आखिर असमय होने वाली चीजें भला किसको सही लग सकती हैं। राज्य में पिछले कुछ दिनों से सड़क दुर्घटनाओं का ग्राफ बढ़ता जा रहा है, जो चिंताजनक है।
ये हादसे किसी घर के चिराग को बुझा दे रहे हैं, तो कहीं मजबूत स्तंभ बिखर जा रहे हैं। हर साल दुनिया भर में बारह लाख लोगों की मौत के लिए सड़क दुर्घटनाएं जिम्मेदार हैं। मामला इतना भयावह है कि हृदय रोगों और अवसाद के बाद इन हादसों की चपेट में सबसे ज्यादा लोग आकर अपनी जान गंवा बैठते हैं।
भारत में यातायात दुर्घटनाएं खराब विकसित राष्ट्रीय राजमार्गों, खराब बुनियादी ढांचे और मनुष्य की गलतियों के कारण होती हैं। हादसों का कारणों में ड्राइवरों की गलती सबसे ऊपर है, जिनमें तेज गति, नशे में गाड़ी चलाना, गलत तरह से साइड मिरर सेट करना, सीट बेल्ट नहीं पहनना, लापरवाह ड्राइविंग, शराब पीकर वाहन चलाना, अनुभवहीनता, खराब दृश्यता, नियंत्रण खोना, खतरनाक तरीके से वाहन चलाना, अधिक सवारी बैठाना, मोबाइल फोन का उपयोग और पैदल चल रहे लोगों की अनदेखी करना शामिल है।
पहाड़ी जिलों की सड़कों का खराब ढांचा दुर्घटनाओं का दूसरा प्रमुख कारण है। मसलन, कहीं सड़कों के किनारे मजबूत घेरा नहीं है, तो कहीं गाड़ियों के निकलने की जगह संकरी है, कहीं सतह उबड़-खाबड़ है, ऊपर से गड्ढे अलग, रोशनी की कमी और मोड़ वाली जगह पर दिशासूचक दर्पण की कमी है।
अन्य कारणों में खराब मौसम, दोषपूर्ण सड़क, पैदल यात्री दोष और विविध कारण हैं। इन आंकड़ों का विश्लेषण विश्व स्वास्थ्य संगठनकी मृत्यु दर आंकड़ों की मदद से किया जा सकता है। सरकार को इस मुद्दे पर गहराई से देखना चाहिए और स्पष्ट योजना लागू करनी चाहिए। तरह-तरह के जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिए।
आखिर हम कब तक ऐसे अल्पायु समय में अपने देश के ‘भविष्य’ को खोते रहेंगे! उम्मीद है, हम सब इस मसले पर अपना सहयोग देंगे। आखिर हमारी सतर्कता ही हमारा बचाव है।
’सुनील चिलवाल, हल्द्वानी, उत्तराखंड
वास्तविक विकास
कृषि बिल के खिलाफ किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है। विरोध प्रदर्शन और आंदोलन यह बताने के लिए काफी है कि किसानों के हितों की अनदेखी की गई है। मंडी कानून, न्यूनतम समर्थन मूल्य और अन्य समस्याओं पर सरकार को विचार करना चाहिए और ऐसे उपाय किए जाने चाहिए कि किसानों को लाभ मिल सके। जबतक अन्नदाता भूखा रहेगा, देश के विकास की बात करना बेमानी होगी।
’जफर अहमद, मधेपुरा, बिहार</p>