नीट और जेईई परीक्षाओं को लेकर राज्य सरकारों में एक तरह की होड़ मच गई है और अब यह राजनीति का रूप ले चुकी है। सरकार मैट्रिक, इंटरमीडिएट या फिर स्नातक की पढ़ाई में तो छात्रों को पास कर अगली कक्षा में फिर भेज सकती है, लेकिन जब बात पेशेवर व्यावसायिक शिक्षा की आती है तो छात्र-छात्राओं को उसकी योग्यता को परख कर ही व्यावसायिक कॉलेज में दाखिला देना एकमात्र विकल्प बचता है।

गौर करने वाली बात यह है कि अगर नीट और जेईई की परीक्षाएं नहीं होंगी तो छात्रों का एक साल बर्बाद हो जाएगा। जिन बच्चों ने इतनी मेहनत से तैयारी की है या फिर जिनकी उम्र सीमा कम रह गई है, उनके लिए यह आखिरी अवसर हो सकता है। लेकिन हम इस बात की कल्पना भी नही कर सकते कि बिना परीक्षा संपन्न किए हुए ही छात्रों का दाखिला व्यावसायिक कॉलेज में हो जाए।

संभवत: केंद्र सरकार इन परीक्षाओं को कराने में सामाजिक दूरी एवं अन्य सभी चीजों का पूर्ण पालन करे और हमें इसकी मांग भी करनी चाहिए े लेकिन जहां तक छात्रों की भविष्य की बात है, उनका उनका सत्र बर्बाद न हो, इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए नीट और जेईई परीक्षा संपन्न करानी चाहिए।
संजय कुमार सिंह, धनबाद ( झारखंड)

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