कुछ लोग कहते हैं कि इंसान से तो पशु अच्छे होते हैं, वफादार होते हैं। इनकी हम कुछ सेवा करें तो यह हमेशा वफादार होते हैं। यह सच है कि पशुओं की सोचने-समझने की क्षमता इंसान के बराबर नहीं होती, फिर भी वे वफादार बन जाते हैं। लेकिन जो ऐसा सोचते हैं कि इंसान से तो अच्छे पशु हैं, उन्हें अपनी अंतरात्मा से पूछना चाहिए कि आखिर ऐसा होता क्यों है? इसका कारण है कि हम स्वार्थी हो गए हैं, हम अपनी बुद्धि से काम नहीं लेते। अहंकार, नफरत, वैर विरोध और लालच की भावनाओं ने हमारे दिल-दिमाग पर कब्जा कर लिया है।
इंसान ही एकमात्र ऐसा प्राणी है, जिसने अपनी समझ और बुद्धि के उचित प्रयोग से अपनी जिंदगी को आरामदायक बनाने के लिए बहुत-सी वस्तुओं का निर्माण किया है। लेकिन यह भी सच है कि दुनिया में बहुत से ऐसे भी लोग हैं, जिन्होंने अपनी बुद्धि का प्रयोग अनुचित और गलत कामों में किया है। वे ऐसे काम भी कर रहे हैं, जैसे पशु नहीं करते। ऐसे लोग रिश्तों को तार-तार और मानवता को शर्मसार कर रहे हैं।
सृष्टि में सबसे ज्यादा समझदार प्राणी अगर कोई है तो वह है इंसान। इंसान में ही अच्छाई और बुराई की पहचान करने की समझ होती है। नेक, पुण्य, श्रेष्ठ और अच्छे काम करके इंसानी जिंदगी को सफल बनाया जा सकता है। अपना पेट तो पशु और पक्षी भी भरते हैं और इनकी प्रवृत्ति ही होती है कि खाया-पिया और बिना किसी लक्ष्य के जीया। लेकिन हम इंसान होकर अगर अच्छाई की राह पर न चलें तो हमारा इंसानी जीवन भी पशुओं कि तरह ही होगा। यह खुद हम पर निर्भर करता है कि हम अपने आपको कैसे अपनी बुद्धि का सदुपयोग कर अपने आपको कैसे पशुओं से ज्यादा समझदार बन सकते हैं।
- राजेश कुमार चौहान, जलंधर