फ्रांस की कार्टून पत्रिका ‘शार्ली एब्दो’ पर आतंकी हमला इस हकीकत को दर्शाता है वैचारिक धरातल पर मानव सभ्यता आज भी बर्बर असहिष्णुता को अपनाए हुए है। स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व का नारा बुलंद करने वाले फ्रांस में अभिव्यक्ति की आजादी पर ही कुठाराघात किया गया है।

इससे साफ है कि विकसित देश भी हिंसक कट्टरवाद के रोग से ग्रस्त हैं। यह केवल एक क्षेत्र, देश या धर्म विशेष की समस्या नहीं बल्कि दुनिया के हर देश में एक नई शक्ल में कट्टरवाद मौजूद है।

किसी लेखक के विचारों से सहमत और असहमत होने के लिए पाठक पूरी तरह स्वतंत्र है। इतना ही नहीं, अपनी असहमति जाहिर करने के लिए पाठक भी अपने विचारों को शब्द दे सकता है। लेकिन असहमति प्रकट करने के लिए जिस तरह बंदूकों का प्रयोग किया गया उसकी जितनी निंदा की जाए कम है।

अब समय आ गया है कि दुनिया की सभी ताकतें इस धार्मिक कट्टरवाद के खिलाफ एकजुट हों और ऐसी घटनाओं का मुंहतोड़ जवाब दें।

 

पंकज शर्मा, गुजरात विश्वविद्यालय

 

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