आज जिस प्रकार से जानकारी के अभाव में लोगों के बीच जो कुछ फैलाया जा रहा है, वह बहुत ही खतरनाक प्रतीत होता है। क्या आजादी और लोकतंत्र ऐसे ही हमें मिल गए? क्या इतना आसान था आजादी लाना और लोकतंत्र चलाना?
आजादी के लिए देश के न जाने कितने सपूतों ने अपना बलिदान दिया था और लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए क्रांतिकारी विचारों के साथ-साथ बौद्धिकता वाले विचारों ने भी आजादी की राह दिखाई थी। क्या महात्मा गांधी चंपारण जिले से सबको एकता के सूत्र में लेकर, चाहे वह किसी भी जाति या धर्म को मानने वाला हो, एक मानव श्रृंखला तैयार करके, अहिंसा रूपी हथियार का पाठ पढ़ा कर ब्रिटिश राज के खिलाफ जो आंदोलन चलाया, उसी का परिणाम था कि अंग्रेजों को अंत में यहां से भागना पड़ा।
गांधी जी के चंपारण सत्याग्रह के बाद से एकता और अखंडता का पाठ जनता को मिला और देश आजाद हुआ। इसके लिए सभी क्रांतिकारियों के साथ-साथ बुद्धिजीवियों का भी योगदान रहा। देश में डा. भीमराव आंबेडकर जिन्होंने अस्पृश्यता और जात-पात, भेदभाव को जड़ से समाप्त करने का और इस लोकतंत्र में सबकी भागीदारी का जो बीड़ा उठाया, उसे बहुत हद तक पूरा कर दिखाया। अब सभी भारत वासियों की जिम्मेदारी बनती है कि कैसे हमें एकता अखंडता के रूप में देश की आजादी और लोकतंत्र को बचाए रखना है।
’आदित्यप्रियांशु सिंह, आजमगढ़ (उप्र)