हिंदी फिल्म ‘क्या कूल हैं हम 3’ पर पाकिस्तान में पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है। वहां के सेंसर बोर्ड ने इस फिल्म के द्विअर्थी संवादों पर कड़ी आपत्ति जताते हुए इसे प्रदर्शन के लिए अनपुयुक्त बताया है। सवाल है कि प्रगतिशीलता और सहिष्णुता के नाम पर भारतीय बौद्धिक वर्ग समय-समय पर समाज की भलाई की ठेकेदारी लेकर बैठा रहता है, अपना विरोध-प्रदर्शन करता है और हर उस भारतीय परंपरा को दकियानूसी कहता है, जो सांस्कृतिक प्रसार के रूप में भारत में होती है। लेकिन ऐसी फिल्मों में परोसे गए द्विअर्थी संवाद उसे प्रगतिशीलता और सहिष्णुता के लिए सहज लगते हैं। दुख है कि भारत में ऐसी फिल्मों का विरोध नहीं होता। कम से कम इस मामले में हम पाकिस्तान से कुछ तो सीख सकते हैं।
’विकेश कुमार बडोला, नोएडा