बेनामी संपत्ति भ्रष्टाचार का जरिया तो है ही, कालेधन को खपाने-छिपाने का स्रोत भी है। बेनामी संपत्ति धारक तमाम लोग राजनीति में भी सक्रिय बताए जाते हैं। नेताओं के साथ नौकरशाह भी बेनामी संपत्ति के जरिए अपनी काली कमाई ठिकाने लगाते हैं। यदि सरकार बेनामी संपत्ति वालों पर सचमुच शिकंजा कसना चाहती है तो उसे आयकर विभाग को आवश्यक संसाधनों से लैस करने के साथ ही यह भी देखना होगा कि बेनामी संपत्तियों के मामलों की सुनवाई के लिए न्यायिक प्राधिकरण अपनी पूरी क्षमता के साथ काम करने में सक्षम हो। अभी ऐसी स्थिति नहीं है और इसीलिए करोड़ों रुपए की संपत्तियों की जब्ती के मामले अधर में अटके हैं। नए बेनामी संपत्ति निरोधक कानून के तहत सरकार को एक प्राधिकरण का गठन करना था, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हो सका है। इसके चलते बेनामी संपत्ति जब्ती के मामले तेजी से नहीं निपट पा रहे हैं। अभी इन मामलों का निपटारा धन शोधन निरोधक कानून संबंधी जो प्राधिकरण कर रहा है, वह पहले से ही काम के बोझ से दबा है।
हेमंत कुमार, ग्राम/पोस्ट-गोराडीह, भागलपुर
मौत का सफर: बिहार के जोगबनी से आनंद विहार (दिल्ली) तक चलने वाली सीमांचल एक्सप्रेस के लगभग दस डिब्बे पटरी में दरार होने के कारण हाजीपुर में आधी रात को पटरी से उतर गए। इस हादसे में सात लोगों की मौत हो गई और लगभग 25 गंभीर रूप से घायल हो गए। हमारे देश में हर रेल हादसे के बाद रेलवे द्वारा भविष्य मेें ऐसा हादसा न होने देने के आश्वासन दिए जाते रहे हैं। सीमांचल एक्सप्रेस हादसे के पीछे साजिश बताई जा रही है। अगर यह साजिश थी तो रची कैसे गई? इसका जिम्मेदार कौन है? यदि यह रेलवे की लापरवाही है तो इतनी बड़ी लापरवाही कैसे हो गई? आखिर कब तक होते रहेंगे रेल हादसे? क्या मृतकों के परिजनों को मुआवजा देकर उनके घर की खुशहाली वापसी आ सकती है? ऐसी बड़ी लापरवाही हर रेल हादसे में होती है मगर इन हादसों को राजनीति का मुद्दा बनाकर छोड़ दिया जाता है।
हर रेल हादसे के बाद जांच की जाती है। सवाल है कि हादसों से पहले ही सुरक्षा प्रबंधों और पटरियों-पुलों की जांच क्यों नहीं होती? क्या रेलवे जांच शुरू करने के लिए हादसे का इंतजार करता है? रेलवे से अनुरोध है कि भविष्य में ऐसे हादसों को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए ताकि तमाम निर्दोष लोगों की जान बच सके।
कशिश वर्मा, एमसीयू, नोएडा</strong>
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