आरक्षण से देश को कितना लाभ या हानि हुई यह लंबी बहस का विषय है, लेकिन यह सर्वमान्य तथ्य है कि इसने देश की योग्यताधारी युवा पीढ़ी के अरमानों और योग्यता का गला घोंटने सहित कई होनहारों को असमय काल के गाल में समाने को विवश जरूर कर दिया!

गुजरात में आरक्षण को लेकर मचे बवाल के बाद अगर निकट भविष्य में मोदी सरकार आरक्षण को समाप्त करने के लिए कोई कदम उठाती नजर आए तो ताज्जुब की बात नहीं! निश्चित तौर पर योग्यता और प्रतिभा का और अधिक समय तक बिना वजह गला घोंटते रहना न तो व्यक्ति और न सरकार और न ही राष्ट्र की सेहत के लिए ठीक कहा जा सकता है। राजनीति देश के लिए हो आरक्षण के लिए नहीं, जातिगत आरक्षण देशवासियों में सरकार और राष्ट्रीय समरसता के प्रति विद्वेष और विषाक्त वातावरण निर्माण में ही सहभागी बनता चला जा रहा है।

अंबरीष भावसार, गोपाल कॉलोनी, झाबुआ

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