न घर में न सार्वजानिक स्थान पर पार्किंग की सुविधा है, फिर भी वाहनों की अंधाधुंध खरीद जारी है! धुआं और ध्वनि प्रदूषण से लोगों का जीवन नरकमय है। वाहनों की रफ्तार सूचक बोर्ड सड़कों पर कहीं दिखाई नहीं देते, इस कारण वाहन चालकों को रफ्तार का कोई ज्ञान नहीं। ट्रैफिक पुलिस तक इस मामले में कोरी है। पुराने वाहन ध्वनि और धुएं के बीच सांस लेने में भी कठिनाई पैदा करते हैं। हालात काबू करने के लिए आखिर में आपातकालीन उपाय ही लागू करने होंगे।

दूसरी ओर, सच यह भी है कि नगर निगम के सफाई कर्मचारी और यहां तक कि ज्ञान के केंद्र शिक्षण संस्थान भी प्रदूषण फैलाने में बराबर के हिस्सेदार हैं। सरकार जनता को तभी दंडित कर सकती है। हालांकि इससे किसानों द्वारा फूंकी जाने वाली पराली को जायज नहीं ठहराया जा सकता। जहां तक यातायात नियंत्रण का प्रश्न है, पुलिस जनता को तभी नियंत्रित करेगी जब वह खुद भी कानून का पालन करे।
’वेदपाल राठी, दरयाव नगर, रोहतक