राजनीति, खासकर समकालीन भारतीय राजनीति में राजनेताओं का एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप कोई नई बात नहीं है। लेकिन अरविंद केजरीवाल सूचनाधिकार आंदोलन और समाजसेवी अण्णा हजारे के प्रसिद्ध भ्रष्टाचार-विरोधी अभियान के साथ गहराई से जुड़े थे और भ्रष्टाचार-मुक्त, ईमानदार, स्वच्छ और पारदर्शी सरकार बनाने के वायदे के साथ राजनीति में आए थे। इसलिए जब वे अन्य राजनीतिक दलों पर हमले कर रहे थे और उनके बड़े नेताओं पर भ्रष्ट और बेईमान होने का आरोप लगा रहे थे तब नागरिकों-मतदाताओं ने उन पर भरोसा किया ही होगा। अगर नहीं किया होता तो दिल्ली विधानसभा के चुनावों में उनके नव-सृजित राजनीतिक दल को 70 में से 68 सीटें भला कैसे मिल सकती थीं? उनके द्वारा लगाए गए आरोप गंभीर प्रकृति के थे और तथ्यों व विवरणों के साथ इन्हें लोगों के समक्ष रखा गया।
उन्होंने अकाली दल के वरिष्ठ नेता और पंजाब सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री विक्रम सिंह मजीठिया पर नशे के कारोबार में लिप्त होने, भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी पर विदर्भ के किसानों की 48 हेक्टेयर भूमि हड़पने और केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली पर उनके डीडीसीए अध्यक्ष के तौर पर कार्यकाल के दौरान घोटाले के आरोप लगाए थे। राजनीतिक में स्वच्छता और ईमानदारी लाने के वायदे के कारण ही अभूतपूर्व वोट पाने और सीटें जीतने वाले नेता से सिर्फ यही उम्मीद की जाती है कि उसने उपरोक्त राजनेताओं पर जो गंभीर आरोप लगाए थे उन पर अडिग रहते और आरोपितों ने यदि न्यायालय में मानहानि का दावा ठोका तो वे अदालत में अपने आरोपों को साबित करते। हो सकता है कि न्यायालय में आरोप साबित करना कठिन हो, तब भी अपनी बात पर अडिग तो रहते।
अण्णा हजारे ने भी तो कुछेक दशक पहले भ्रष्टाचार का आरोप साबित न कर पाने के कारण कारावास भुगता था। लेकिन केजरीवाल ने कानूनी व नैतिक लड़ाई लड़ने और संघर्ष की बजाय सुविधाजनक रास्ता चुनते हुए, अपनी ही पार्टी के अनेक नेताओं की नाराजगी की भी परवाह न करके मजीठिया, गडकरी और कपिल सिब्बल से अदालत में माफी मांगने का रास्ता चुन लिया। माफीनामे में वे खुद के लगाए आरोपों को अज्ञान की उपज, असत्य और बेबुनियाद बता रहे हैं! इससे उनकी छवि तो धूमिल होती ही है, साथ ही भारतीय राजनीति में स्वच्छता और ईमानदारी लाने का सचमुच इरादा रखने वाला कोई व्यक्ति या संगठन भविष्य में उभरने की कोशिश करेगा तो उस पर भी लोग भरोसा नहीं करेंगे।
’कमल जोशी, अल्मोड़ा, उत्तराखंड</strong>
