प्रदूषित भोजन खाने से समाज का एक बहुत बड़ा वर्ग आज तरह-तरह की बीमारियों से ग्रस्त होता जा रहा है। चिंता की बात है कि न तो व्यक्ति विशेष को इसकी चिंता होती है, न समाज और सरकार इस बाबत गंभीरता पूर्वक काम कर रहे हैं। कुछ लोगों को तो पता ही नहीं होता कि स्वच्छ खाना क्या है या दूषित खाना क्यों नहीं खाना चाहिए। कुछ लोग पता होने के बावजूद स्वाद के चक्कर में खुले में बिकते और भिनभिनाती मक्खियों से घिरे खाद्य पदार्थ खाते हैं और बीमारियों को न्योता देते हैं। अनेक लोग सब कुछ जानते हुए भी कुछ नहीं कर पाते हैं। बाजार में खुले में बिकने वाले खाद्य पदार्थ खरीदना और खाना उनकी मजबूरी होती है।
यह सरकार की जिम्मेदारी है कि बाजार में स्वच्छ और स्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थ न केवल दिखें बल्कि बिकें भी। इसके लिए सरकार में विभाग भी है लेकिन वह सक्रिय नहीं रहता है। बाजार में बिकने वाला हर खाद्य पदार्थ किसी न किसी के पेट में जाता है और कई तरह की बीमारियों को जन्म देता है। व्यक्ति विशेष बाजार पर नियंत्रण तो स्थापित नहीं कर सकता लेकिन सरकारी तौर पर व्यवस्था चाहे तो कुछ भी हो सकता है। लोग स्वस्थ रहें, समाज स्वस्थ रहे, राष्ट्र स्वस्थ हो इसके लिए सरकार को कुछ सार्थक करना चाहिए और बाजार में हर खाद्य पदार्थ स्वास्थ्य की दृष्टि से उत्तम रहे इसके लिए उपाय करने चाहिए। जितनी आवश्यकता गरीबों तक चावल और गेहूं पहुंचाने की है उतनी ही आवश्यकता है कि गरीब लोग स्वच्छ भोजन खाएं। आम लोगों में जागरूकता लाना और बाजार पर नियंत्रण रखना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए।
’मिथिलेश कुमार, बलुआचक, भागलपुर</strong>
आस्था के उत्पाती
करोड़ों लोगों के आराध्य शिव के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने मानव कल्याण के लिए न केवल हलाहल पिया बल्कि शुभ ही शुभ करने के लिए असीम धैर्य व सहनशक्ति का परिचय भी दिया। लेकिन लगता है कि शिव से उनके भक्तों ने कुछ नहीं सीखा। दिल्ली के मोती नगर और उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर और मुजफ्फरनगर में कथित कांवड़ियों ने जो उत्पात मचाया वह गुंडों-बदमाशों को भी शर्मसार करने वाला था। यह कैसी है शिव की भक्ति और भक्तों की शक्ति! शिव भक्तों का यह कहर (तांडव) अपने ही लोगों / संपत्ति पर टूटता देख कर भगवान भोलेनाथ भी व्यथित हुए होंगे। दरअसल, कांवड़ यात्राओं में बड़ी संख्या में असामाजिक तत्त्व लोग शामिल होकर अपनी गुंडों जैसी हरकतों मसलन शराबखोरी, छेड़छाड़ व लड़ाई-झगड़े करके कांवड़ यात्रा को बदनाम करते हैं। भविष्य में ऐसे हुड़दंग को रोका जाना चाहिए क्योंकि इससे लोगों की आस्था व विश्वास को चोट पहुंंचती है जो ठीक नहीं है।
’हेमा हरि उपाध्याय, जावरा रोड, उज्जैन