राजनीतिक दृष्टि से जागरूक, ईमानदार और प्रतिबद्ध युवाओं की लोकतांत्रिक व्यवस्था में सक्रिय भागीदारी बढ़ना समय की मांग है। लेकिन क्या आज का युवा वर्ग भारतीय लोकतंत्र की इस मांग की पूर्ति करने में सक्षम है? छात्र संगठन युवा राजनीति की बुनियाद हैं जिनसे देश की राजनीति की दशा-दिशा तय होती है। लेकिन क्या आज के परिदृश्य में ये छात्र संगठन छात्र राजनीति के मूल्यों का पूर्ण सम्मान कर रहे हैं? सच तो यही है कि छात्र संगठनों को भी अब राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पार्टियां अपने-अपने स्वार्थ के हिसाब संगठित-संचालित कर रही हैं। अब छात्र राजनीति भी स्वार्थी लोगों का मंच बन गई है और वहां भी ऐसा माहौल बन गया है कि युवा वर्ग को राजनीति शब्द से नफरत-सी होने लगी है। आज राजनीति का मतलब शक्ति, संपत्ति संग्रह और विलासितापूर्ण जीवन होकर रह गया है। समाज या राष्ट्र के प्रति कर्तव्य तो इतिहास की बातें हो गई हैं। चाहे कोई भी क्षेत्र हो, युवाओं को प्रतिबद्धता के साथ राष्ट्र निर्माण के लिए खड़ा होना ही होगा चाहे वे किसी भी धर्म, संप्रदाय, जाति या वर्ग के हों। देश के युवा एक श्रेष्ठ राष्ट्र-संचालन तंत्र का निर्माण करें ताकि हम आने वाली पीढ़ी को एक सुखद और सुरक्षित भविष्य प्रदान कर सकें।
देवेंद्रराज सुथार, जालोर, राजस्थान</strong>