हिमाचल प्रदेश का शिमला सारी दुनिया में ठंडे क्षेत्र के लिए सारी दुनिया में प्रसिद्ध है, लेकिन जलवायु परिवर्तन का असर यहां भी पड़ा है। इसलिए वहां भी लोगों को गर्मियों में पंखे या दूसरे उपकरणों की जरूरत गर्मी से राहत पाने के लिए पड़ने लगी है। लेकिन जलवायु परिवर्तन से होने वाले नुकसानों को देखते हुए इसके लिए दुनिया हर व्यक्ति को चिंता ही नहीं, बल्कि चिंतन भी करना चाहिए।

जब हमें यह महसूस होता है कि हमें कोई बीमारी होती है तो हम झट से उस बीमारी से छुटकारा पाने के लिए इलाज कराने लगते हैं। बीमारी और न बढ़े और यह जानलेवा न बन जाए, इसके लिए परहेज करते हैं, लेकिन आज प्रकृति हमारी गलतियों के कारण बीमार हो रही है, लेकिन बहुत अफसोस की बात है कि इसके इलाज के लिए हम गंभीर नहीं हैं।

इसके अलावा, हमारे देश में बढ़ती जनसंख्या से सड़कों पर यातायात बढ़ी, रेल में भीड़ बढ़ी और आवासीय क्षेत्र बढ़ने लगे। लेकिन इस अनुपात में पर्यावरण संरक्षण के लिए कोई खास उपाय नहीं किए जा रहे। इसके विपरीत वृक्षों को धड़ाधड़ काटा जा रहा। यहां सवाल यह खड़ा होता है कि बढ़ती आबादी और टूटते परिवार जो जंगलों पर भारी पड़ रहे हैं, उसके लिए क्या उपाय किए जाने चाहिए।

साल दर साल भारत में शहरों का दायरा बढ़ता जा रहा है। शहरों के साथ लगते गांवों और कृषि योग्य जमीन पर कंक्रीट के जंगल बढ़ते जा रहे हैं। घटते जंगल जलवायु परिवर्तन का सबसे बड़ा कारण है। मानवीय भूलों के कारण जो जलवायु परिवर्तन हुआ है, इसके दुष्परिणाम के कारण कभी बाढ़ तो कभी सूखे से फसलें खराब होती हैं।

यह याद रखने की जरूरत है कि जलवायु का परिवर्तन जल और वायु को इस कदर खराब कर देगा कि स्वर्ग जैसी धरती नरक बन जाएगी। कुदरत के नियमों के विरुद्ध जाकर इंसान ने खुद अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने का काम कर लिया है। प्राकृतिक आपदाएं यह संकेत करती हैं कि इंसान अपने विकास के लाख दावे कर ले, लेकिन कुदरत के आगे वह अभी भी बौना है।

जलवायु परिवर्तन का नुकसान भारत को ही नहीं उठाना होगा, बल्कि सारी दुनिया पर इसके कारण खतरे के बादल मंडरा रहे। जलवायु को संभलाने के लिए अगर प्रयास नहीं किए गए तो वे दिन दूर नहीं हैं, जब प्राणी का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा। किसानों को चाहिए कि अपने खेतों के चारों ओर फलदार वृक्ष भी लगाएं। फलों से उनकी कमाई बढ़े और वृक्षों से जलवायु परिवर्तन को संभालने का प्रयास किया जाए।
’राजेश कुमार चौहान, जलंधर, पंजाब</p>