संसार को युद्ध की आग में झोंकने में तुले आतंकवादियों से निपटने के लिए सेना की सख्त कार्रवाई का हम समर्थन करते हैं। आगे आतंकवादी बनने की प्रेरणा भटके हुए युवकों न मिले इसके लिए संयुक्त राष्ट्र के 195 सदस्य देशों के हर जागरूक नागरिक को आतंकवाद की समस्या के समाधान के लिए अपनी-अपनी सरकारों से मांग करनी चाहिए।
संयुक्त राष्ट्र को शक्ति प्रदान करके विश्व संसद का रूप दिया जा सकता है। प्रजातांत्रिक रूप से गठित यह विश्व संसद ही निष्पक्ष पंच की भूमिका आतंकवादियों और सरकारों की बीच निभा सकती है। ऐसा ही प्रयोग भारत में डाकुओं का आत्मसमर्पण कराने में विनोबा भावे और जयप्रकाश नारायण ने किया था। यही आतंकवादियों की जघन्य हिंसा के शहीदों के प्रति सच्ची श्रद्धाजंलि होगी। हमें ऐसे उपाय करने हैं कि संसार के किसी भी परिवार को आतंकवादी हिंसा में अपनों को खोने का दर्द न झेलना पड़े। हमें इसके लिए युद्धरहित दुनिया बनाने का संकल्प लेना चाहिए। संकुचित राष्ट्रीयता के नाम पर मूंछों की लड़ाई अब बंद करने का समय आ गया है।


’पीके सिंह ‘पाल’, रायबरेली रोड, लखनऊ</p>