संसद के शीतकालीन सत्र में अनेक महत्त्वपूर्ण विधेयक, जैसे वस्तु एवं सेवा कर, श्रम सुधार, किराए की कोख आदि को पास कराने की अटकलें लगाई जा रही थीं लेकिन कार्यवाही लगातार ठप किए जाने से यह राह अब थोड़ी मुश्किल प्रतीत होती है। संसद में होने वाले हंगामे से देश और दुनिया की राजनीति में नकारात्मक संदेश जाता है। साथ ही, इससे संसदीय कार्य प्रक्रिया पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। जनप्रतिनिधियों को देश हित का ध्यान रखते हुए इस प्रकार के हंगामे की परंपरा का कोई कारगर समाधान ढूंढ़ना चाहिए।
’वेद प्रकाश सैनी, पंजाब विश्वविद्यालय, बठिंडा