वर्तमान समय में हमारे जीवन में मीडिया की भागीदारी इतनी अधिक हो चुकी है कि अब हम पूरी तरह इसी से नियंत्रित होने लगे हैं। हमारा रोजमर्रा का जीवन भी पूरी तरह इसकी चपेट में आ चुका है। कुछ दिन पहले राजधानी में प्रदूषण की समस्या को बड़े जोरों से उठाया गया था, जिसके परिणामस्वरूप बहुत सारे लोगों के मुंह पर ‘मास्क’ लग गए थे। लेकिन इसके बाद आकस्मिक हुई नोटबंदी की घोषणा के बाद मीडिया ने करवट ली और नोटबंदी की खबर केंद्र में आ गई। इसके साथ ही लोगों के मुंह पर लगे मास्क अचानक से गायब हो गए। मीडिया का चरित्र ही कुछ ऐसा है कि वह किसी खबर-विशेष को जोर-शोर से प्रसारित कर अन्य खबरों पर अचानक से पर्दा डाल देता है। दुर्भाग्य यह है कि आपाधापी के इस दौर में हम अपनी प्राथमिकताएं मीडिया के माध्यम से ही तय करने लगे हैं।
’कन्हैया जादौन, जामिया मिल्लिया, दिल्ली