खोदा पहाड़
पिछले सप्ताह 2-जी स्पेक्ट्रम घोटाले के आरोपियों के बरी होने के बाद एक नई बहस खड़ी हुई। अगर 2-जी स्पेक्ट्रम में कोई घोटाला नहीं था तो फिर 2012 में इससे संबंधित लगभग एक सौ बाईस लाइसेंस क्यों रद््द किए गए और इसके कुछ आरोपियों को जेल क्यों भेजा गया था। सीबीआइ की विशेष अदालत ने इस मामले के सभी आरोपियों को बरी करने का फैसला देकर राजनीति के गलियारे में फिर हलचल मचा दी। 2-जी स्पेक्ट्रम घोटाले पर इतने वर्षों बाद आया फैसला यह कहने पर मजबूर करता है कि खोदा पहाड़ निकला चूहा। लेकिन अगर यही फैसला मनमोहन सिंह यानी कांग्रेस की सरकार के समय आया होता तो फिर दूसरी राजनीतिक पार्टियां अदालत और सीबीआइ को सरकार के हाथ की कठपुतली बतातीं।

स्वाभाविक रूप से इस घोटाले के आरोपियों के बरी होने से कांग्रेस को बड़ी राहत मिली है, लेकिन इससे आमजन के बीच यह संदेश जरूर गया होगा कि हमारे देश के न्यायतंत्र में कुछ खामियां हैं। 2-जी स्पेक्ट्रम घोटाले ही नहीं, बल्कि दूसरे घोटाले जिनके तार राजनेताओं या सत्ताधारियों से जुड़े होते हैं, कोई आज तक दोषी क्यों नहीं पाया गया? यहां यह भी सवाल खड़ा होता है कि फिर घोटाले आखिर करता कौन है! देश के विकास के नाम पर चलाई जाने वाली योजनाओं की जो राशि लाभार्थियों तक नहीं पहुंचती, आखिर वह जाती कहां है?
’राजेश कुमार चौहान, जालंधर

हंसी के ठौर
आजकल बढ़ती संवेदनहीनता के दौर में किसी को हंसाना मुश्किल काम समझा जाता है। किसी का दिल दुखाना तो आसान है, लेकिन उसे खुशी देना मुश्किल। सोशल मीडिया पर कई मजाक या चुटकुले ऐसे भी होते हैं जो हमें हंसने पर मजबूर कर देते हैं। ऐसे हंसाने वाले कई वीडियो भी सोशल मीडिया पर आए दिन वायरल होते रहते हैं। बल्कि सोशल मीडिया तो मानो अपनी प्रतिभा दिखाने का एक प्लेटफार्म बन गया है। यहां पर लोग अपने द्वारा बनाए गए एक से एक वीडियो पोस्ट करते रहते हैं। अपनी प्रतिभा दिखाने का यह सबसे सस्ता और अच्छा रास्ता है।
इनमें से ही कुछ वीडियो इतनी जल्दी चारों तरफ फैल जाते हैं कि उन्हें बनाने वाले लोग रातोंरात मशहूर हो जाते हैं। खाने-पीने के सामान तैयार करने के तरीके से संबंधित वीडियो, मेकअप, गीत, नृत्य के वीडियो ऐसे ही कुछ महत्त्वपूर्ण उदाहरण हैं। इसके अलावा गुदगुदाने वाले चुटकुले भी लोग बहुत दिलचस्पी के साथ पढ़ते हैं। ऐसे में जिन लोगों को हंसाने का शौक होता है, वे कई तरह के लतीफे सोशल मीडिया पर प्रकाशित करते रहते हैं। ऐसा करके वे सबकी नजरों में आना चाहते हैं। लेकिन यह भी ध्यान रखना चाहिए कि हंसाने के चक्कर में कोई ऐसी आपत्तिजनक टिप्पणी नहीं कर दी जानी चाहिए, जो स्त्री या कमजोर तबकों के सम्मान को चोट पहुंचाती हो।
’दिलीप, दिल्ली</p>