देश में मादक पदार्थों के माफिया के विरुद्ध कदम उठाने की पहल सराहनीय है। कुछ समय पूर्व फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह द्वारा की आत्महत्या के मामले की जांच में नशे से जुड़े कारोबार के तथ्यों के जो सामने आए, उसने सारे देश को झकझोर दिया है। कल्पना लोक, सपनों के संसार में नशा का मकड़जाल सभी को हतप्रभ करता है। इसमें अभिनेत्रियों के नामों ने चिंता की लकीरों को गहरा कर दिया। सच्चाई जांच के बाद ही सामने आएगी, लेकिन ये घटनाक्रम हमें अपने गिरेबान में झांकने को मजबूर जरूर करता है।
दिखावे वाली सभ्यता ने हमारे देश किस तरह अपनी ओर आकर्षित किया, इसकी ओर देश के युवा सबसे अधिक आकर्षित हुए हैं और अपनी संस्कृति छोड़ इसी संस्कृति के पीछे भाग रहे हैं। नशाखोरी इसी अंधानुकरण का परिणाम है। हमारा देश युवाओं का देश है। इन्हीं के भरोसे वैश्विक आर्थिक महाशक्ति बनने का ख्वाब था। लेकिन जिस युवा पीढ़ी के बल पर देश विकास के पथ पर दौड़ने का दंभ भर रहा है, वह दुर्भाग्य से नशे की गिरफ्त में आ रही है।
ड्रगवार डिस्टॉर्शन और वडोर्मीटर की रिपोर्ट के अनुसार नशे का व्यापार तीस लाख करोड़ से अधिक का है। अकेले हमारे देश की बीस प्रतिशत आबादी इसकी गिरफ्त में है। नेशनल ड्रग डिपेंडेंट ट्रीटमेंट (एनडीडीटी), एम्स की 2019 की रिपोर्ट बताती है कि देश में ही सोलह करोड़ लोग शराब का नशा करते हैं। इसके अलावा, ग्लोबल वर्डन और डीजीज स्टडी, 2017 के आंकड़े के मुताबिक दुनियाभर में साढ़े सात करोड़ से भी अधिक लोग अवैध मादक पदार्थों के कारण अकाल मौत मरे।
इस लत के शिकार सभी वर्ग और आयु के लोग हैं। एक सर्वे के मुताबिक देश में गरीबी की रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाले लोगों में लगभग सैंतीस प्रतिशत नशे का सेवन करते हैं। इनमें वे लोग भी शामिल हैं, जिनके घरों में दो वक्त की रोटी भी सुलभ नहीं है। उनके मुखिया मजदूरी के रूप में जो कमा कर लाते हैं, वे शराब पर फूंक डालते हैं।अब यह समस्या देश के किसी राज्य तक सीमित नहीं रही।
एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक बीते साल के अंत तक राज्य के गांवों में करीब सड़सठ फीसद घर ऐसे पाए गए, जहां कम से कम एक व्यक्ति नशे की चपेट में है। इसके अलावा हर हफ्ते कम से कम एक व्यक्ति की बहुत ज्यादा मादक पदार्थ लेने के कारण मौत होती है। ऐसे ही हर राज्य को ये दानव अपनी आगोश में लेता जा रहा है। नशा लेने में इजेंक्शन के उपयोग के कारण लगातार कई अन्य गंभीर जानलेवा बीमारियां भी बढ़ रही हैं। समय रहते समाज को जागरूक होना होगा, तभी देश और लोग इस महामारी से बच सकेंगे।
’माधव पटेल, दमोह, मप