गांव और शहरों के बेरोजगारों हो या विदेश से अपने देश में वापस रोजगार छूटने के कारण लौटे लोगों की व्यथा हो, यह एक गंभीर और जटिल समस्या बनने वाली है। कई देशों में पहले से ही बेरोजगारी व्यापक पैमाने पर फैली हुई है। गांव के युवा रोजगार की तलाश में शहरों में अपने लिए अवसर की तलाश कर ही रहे थे, ऐसे में अगर विदेशों से आए बेरोजगार युवा भी इस भीड़ में शामिल हो गए, तो हालात विकट हो जाएंगे।

इन सबको रोजगार मिलना इसलिए कठिन होगा कि आने वाले दिन इस लिहाज से और भी संकटपूर्ण दिख रहे हैं। शहरों में स्थिति जहां बेहद मुश्किल होने वाली है, वहीं हालात के मारे गांव लौटे लोग अब गांव में ही किसी तरह अपना गुजारा करना चाह रहे हैं, लेकिन वहां भी काम बहुत कम और लोग बहुत ज्यादा हो चुके हैं। इसके बावजूद लोग अब शहर की ओर वापस जाने से कतरा रहे है।

वे अपने ही गांव में या आसपास के इलाकों में रोजगार की तलाश करने लगे हैं। दूसरी और पलायन से उद्योगों में मजदूरों कमी से एक विकराल समस्या सामने आ खड़ी हुई है। सवाल है कि कोरोना की वजह से जो हालात पैदा हुए हैं, वे कब तक काबू में आ सकेंगे और अगर यह लंबा खिंचा तो देश और समाज की दशा क्या होगी!
’संजय वर्मा ‘दृष्टि’, धार, मप्र

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