कहने को बिहार में ‘सुशासन’ की सरकार है। हालांकि विपक्ष में बैठे नेताओं का जवाब होता है कि बिहार में भ्रष्ट सरकार है। इसे आजकल ‘डबल इंजन’ की सरकार कहा जा रहा है। लेकिन पिछले एक सप्ताह से बिहार के अलग-अलग जिलों से जो तस्वीरें देखने को मिल रहा है, उससे साफ पता चलता है कि बिहार में सब कुछ अच्छा नहीं है।

पिछले पांच दिनों में तो बिहार में महाराष्ट्र और दिल्ली से भी ज्यादा कोरोना के नए मामले आए हैं। दूसरी तरफ बिहार में बाढ़ ने भी तबाही मचाना शुरू कर दिया है। यह सब कहीं न कहीं कथित सुशासन सरकार की लापरवाही का ही नतीजा है। दिल्ली और महाराष्ट्र में कोरोना का कहर जब अपने चरम पर था, तब भी बिहार ने इससे कुछ सीखा नहीं और अपने यहां पहले से ही स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत नहीं किया।

बिहार में कोरोना की विस्फोटक स्थिति पर काबू पाने के लिए फिर से पूरे राज्य में पूर्णबंदी लागू कर दी गई है। सवाल यह है कि वे लोग घर में कैसे रहेंगे, जिनके घरों में बाढ़ का पानी घुस गया है? फिलहाल गोपालगंज से लेकर सीतामढ़ी, मधुबनी, शिवहर, सुपौल और दरभंगा जिले के सैकड़ों गांव जलमग्न हो चुके हैं।

अस्पताल की हालत देख कर समझ में आता है कि बिहार के स्वास्थ्य ढांचे की हालात क्या है! जब सक्षम और ऊंचे पद पर बैठे किसी व्यक्ति को समय पर इलाज नहीं मिला गुहार लगाने के बाद भी, तो आप समझ सकते हैं कि गरीब, मजदूर, किसान, मध्यमवर्ग जैसे आम लोगों की हालत क्या होगी! लेकिन खुद को लोक कल्याणकारी कहने वाली सरकार अपनी जनता का ध्यान नहीं रख कर, चुनाव की तैयारी में व्यस्त है।
’कवि विक्रम क्रांतिकारी, दिल्ली विवि

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