चीन के एक अखबार ने कहा है कि भारत को शीत युद्ध की मानसिकता से बाहर निकलना चाहिए ताकि चीन के साथ संबंध मजबूत करने का वादा पूरा किया जा सके। अब ड्रैगन को कौन बताए कि दूध का जला छाछ को भी फूंक-फूंक कर पीता है।
1962 के धोखे के बाद चीन की हरकतों को देख कर यकीन नहीं किया जा सकता। वह हमें तो विकास का पाठ पढ़ाता है और खुद हथियारों का जखीरा इकट्ठा कर रहा है।
ब्रिटिश रक्षा अकादमी की रिपोर्ट के अनुसार चीन इजराइल से दुनिया में तहलका मचाने वाले हथियार खरीदने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहा है। यह सब क्या बताता है?
हिमांशु गोस्वामी, प्रीत विहार, बुलंदशहर
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