यह हकमारी
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के दिशा-निर्देशों के मुताबिक जेएनयू के कुलपति ने विश्वविद्यालय में एमफिल/पीएचडी की सीटों में भारी कटौती की है। कैंपस के कुछ केंद्रों में ऊंट के मुंह में जीरे की तरह महज एक-दो या तीन सीटें आई हैं तो किसी-किसी में एक भी सीट नहीं बची है। भारतीय भाषा केंद्र के साथ-साथ इतिहास अध्ययन केंद्र जैसे महत्त्वपूर्ण संस्थान उस सूची में शामिल हैं जहां इस बार एमफिल/पीएचडी में शून्य नामांकन होगा।

जेएनयू देश के दूर-दराज और भारतीय समाज के वंचित तबकों के शानदार प्रतिनिधित्व के लिए जाना जाता है लेकिन इस नए फैसले के बाद उन तबकों के हजारों छात्र-छात्राओं के सामने करियर का एक बड़ा संकट खड़ा हो गया है। जो विद्यार्थी इस बार एमए कर रहे हैं वे महज दो महीने बाद यहां से पैदल कर दिए जाएंगे। वे सब लोग जिन्होंने अकादमिक जगत में आगे बढ़ने का सपना संजोया था, अब क्या करेंगे और कहां जाएंगे यह विचारणीय है। युवाओं के लिए आएदिन योजना पेश करने वाली सरकार के राज में छात्रों के लिए इतनी बड़ी ‘दुर्घटना’ हुई है! नए कुलपति एम जगदेश कुमार, छात्र हितों की हकमारी के लिए हमेशा याद किए जाएंगे।
अंकित दूबे, जेएनयू, नई दिल्ली</strong>
निष्पक्षता से दूर

लोकतंत्र में कार्यपालिका, विधायिका, न्यायपालिका के साथ-साथ मीडिया को भी चौथा स्तंभ माना जाता है और उसकी सलामती के लिए जरूरी है कि चारों अपना काम निष्पक्षता के साथ अंजाम दें। लेकिन चौथा स्तंभ, खास कर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया अपने दायित्वों के निर्वहन में निष्पक्षता शब्द को भूल कर ‘जो दिखता है वही बिकता है’ वाले सिद्धांत पर चल रहा है। इसका नुकसान देश और समाज को भविष्य में देखने को मिलेगा। मीडिया आम जनता के मानस पटल पर कुछ ऐसी चीजें उकेर रहा है जो भारतीय लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए उपयुक्त नहीं हैं।
यह सही है कि ‘जो जीता वही सिकंदर’, लेकिन विजय रथ पर सवार किसी पार्टी को ज्यादा तवज्जो देना, किसी खास पार्टी के नेताओं के बयानों को तरजीह देने में भी भेदभाव करना, यह सब उम्मीदों के अनुरूप नहीं है। हाल के विधानसभा चुनावों में जितनी कवरेज उत्तर प्रदेश में भाजपा की विजय को दी गई, उतना महत्त्व पंजाब में कांंग्रेस की जीत को नहीं मिला। यही रवैया गोवा और मणिपुर के नतीजों के संदर्भ में भी देखा गया। किसी एक पक्ष को ज्यादा तवज्जो देना मीडिया की छवि के लिए सही नहीं है।
हिफजुर रहमान रिंकु, बैदा, शेरघाटी, गया