केंद्र सरकार रेलवे के एक हिस्से सहित विभिन्न सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का निजीकरण करने की ओर अग्रसर है। निजीकरण के पहले समग्र रूप से सभी पहलुओं पर विचार करना चाहिए। रेल मंत्रालय की बात करें तो भारत में रेलवे का बहुत बड़ा नेटवर्क है। कुछ वर्ष पहले तक रेलवे का बजट भी अलग से प्रस्तुत किया जाता था। देश की अवाम के लिए यह एक सर्व सुलभ, सुविधाजनक और किफायती आवागमन का साधन है।

लाखों रेलवे कर्मचारी इस महकमे में कार्यरत हैं। जनता एवं सेवारत कर्मचारियों के हितों पर कोई कुठाराघात न हो, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए। इसी प्रकार अन्य उपक्रमों को भी निजी हाथों में सौंपने के पहले यह विचार किया जाना चाहिए कि क्या सरकार इन सबको संभालने में पूरी तरह नाकाम हो चुके हो।
’ललित महालकरी, इंदौर, मप्र