जिन स्थापित दलों को विस्थापित करके आम आदमी पार्टी ने अपनी जगह बनाई थी उन पार्टियों के समर्थक मीडिया हाउसों और उनके बिचौलियों द्वारा अरविंद केजरीवाल के स्टिंग आपरेशन को जरूरत से ज्यादा बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया जा रहा है जिसकी रौ में अंजलि दमानिया भी बह गर्ईं।
आम आदमी पार्टी कोई मार्क्सवादी पार्टी तो है नहीं जो व्यवस्था बदलने के अभियान में सिद्धांतों से समझौता नहीं करती। यह पार्टी तो इसी व्यवस्था में सत्ता हथिया कर ईमानदार, चुस्त प्रशासन के माध्यम से जन सुविधाएं बढ़ाने और भ्रष्टाचार रोकने का लक्ष्य लेकर चल रही थी।
यह नहीं भूलना चाहिए कि अरविंद खुद लगातार विधानसभा भंग करने की मांग कर रहे थे, पर जब उन्होंने सुना कि कांग्रेस के विधायक बिकने को तैयार हैं और भाजपा इस तरह अपनी सरकार बनाने जा रही है और आप के विधायकों के बीच भी तोड़फोड़ कर रही है तो कांग्रेस में मुसलिम विधायकों की हिचक का अनुमान लगा कर, उन्हीं की तरह कांग्रेस के विधायकों के साथ सौदा करने या स्टिंग करने के लिए तैयार वातावरण को इसी प्रणाली का हिस्सा मान बैठे।
गौरतलब है कि जिस व्यक्ति के साथ यह बातचीत हुई बताई जाती है उसने खुद इसे रिकार्ड करके रख लिया था और उसे इस बार टिकिट नहीं दिया गया था।
हालांकि जिस नई और धवल राजनीति का मुखौटा लगा कर अरविंद उतरे थे उससे तो नीचे गिरे नजर आ रहे हैं लेकिन भाजपा या कांग्रेस के लोग अपनी राजनीति में जो कुछ करते रहते हैं, उन्हें इस भूल पर आलोचना का अधिकार नहीं है। अगर यह स्टिंग सच है तो इसमें वे दोनों भी शामिल हैं, जिनमें से एक के विधायक बिक रहे थे और दूसरा खरीद रहा था।
वीरेंद्र जैन, रायसेन रोड, भोपाल
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