अजमल कसाब को सन 2008 में जिंदा पकड़े जाने के बाद भारत ने अब आतंकी नवेद को जिंदा पकड़ा है जो एक बड़ी कामयाबी है। कसाब की गिरफ्तारी ने पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेनकाब और शर्मसार करने में बड़ी भूमिका निभाई थी, अब वही काम नवेद करेगा।

जम्मू-कश्मीर में बीएसएफ के जवानों से भरी बस पर हमला करना नवेद और उसके साथी के खतरनाक मंसूबों को दर्शाता है। जिस मार्ग पर आतंकियों ने हमला किया वहां से थोड़ी देर पहले ही अमरनाथ यात्रियों का एक जत्था निकला था तो हो सकता है इनके निशाने पर अमरनाथ यात्री रहे हों। लेकिन भारतीय सैनिकों ने चट्टान की तरह डट कर मुकाबला करके एक आतंकी को ढेर कर डाला और दूसरे को भागने पर मजबूर किया जिसे बाद में दो युवकों की मदद से जिंदा पकड़ लिया गया। इस कामयाबी के लिए हमारे बहादुर जवान और नागरिक बधाई के पात्र हैं। सरकार ने दोनों युवकों को ईनाम और नौकरी देने की घोषणा कर एक अच्छी पहल की है।

आतंकवाद के मामले में पाकिस्तान रोज नए बहाने बनाता है। इस बार भी उसने नवेद को अपना नागरिक मानने से इनकार किया है। करगिल युद्ध में भी वह अपना हाथ होने से पल्ला झाड़ता रहा और अपने सैनिकों के शव लेने भी नहीं आया। लेकिन अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत द्वारा सबूत देने के बाद पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी। एक बात तो तय है कि पाकिस्तान आतंक की फैक्ट्री है जो भारत का खून बहाने के लिए रोज अपने उत्पाद भारत भेजता है। इसका बड़ा उदाहरण पकड़ा गया आतंकी नवेद है।

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आकड़ों के मुताबिक पिछले छह साल में भारत के छह सौ से ज्यादा जवान आतंकवादियों के हाथों शहीद हुए हैं। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में इन दिनों बयालीस आतंकी प्रशिक्षण शिविर चल रहे हैं जिनमें तीन सौ से ज्यादा आतंकियों को ट्रेनिंग दी जा रही है। इस साल मई से जुलाई के बीच अंतरराष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर घुसपैठ की तैंतीस घटनाएं हुई हैं। जून तक पाकिस्तान की तरफ से 199 बार संघर्षविराम का उल्लंघन हुआ है।

ऊधमपुर का आतंकी हमला पाकिस्तान की नई साजिश की तरफ इशारा करता है। लगता है, पाकिस्तान उन इलाकों को अपने निशाने पर ज्यादा ले रहा है जो शांत माने जाते हैं। यह हालत तब है जब दोनों देशों के प्रधानमंत्री वार्ता कर चुके हैं। हैरत की बात है कि अमेरिका जैसा बलशाली देश पाकिस्तान के चंगुल में फंस कर आतंक से निपटने के लिए डॉलर देता है। अब भारत को आतंकी हमलों से बचने के साथ-साथ पाकिस्तान को नियंत्रित करने के विकल्पों पर अधिक विचार करना चाहिए।

अवनिंद्र कुमार सिंह, दुर्गाकुंड, वाराणसी

 

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