देश की 72 फीसदी MSME का कहना है कि कारोबार को सुचारू तौर पर चलाने के लिए उन्हें निश्चित तौर पर छंटनी करनी होगी। सिर्फ 14 फीसदी सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग ऐसे हैं, जिनका कहना है कि वे बिना छंटनी के ही कारोबार को आगे बढ़ाएंगे। ऑल इंडिया मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन और 9 अन्य औद्योगिक संगठनों की ओर से साझा तौर पर किए गए सर्वे में यह बात सामने आई है। इसके अलावा कॉरपोरेट जगत में 42 पर्सेंट उद्योगों ने कहा है कि आगे काम जारी रखने के लिए उन्हें वर्कफोर्स में कमी करनी होगी। सिर्फ 18 पर्सेंट कंपनियां ऐसी हैं, जिन्होंने मौजूदा वर्कफोर्स के साथ ही काम करने की बात कही है।
ऑल इंडिया मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के इस सर्वे में एमएसएमई सेक्टर, सेल्फ एंप्लॉयड और कॉरपोरेट सीईओ जैसे 46,525 लोगों ने हिस्सा लिया था। 24 मई से 30 मई के बीच किए गए इस सर्वे में कहा गया है कि लघु एवं मध्यम उद्योगों को सैलरी की पेमेंट में संकट का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा पुराने बकाये को हासिल करने, नए ऑर्डर मिलने और ईएमआई के भुगतान को लेकर भी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। सर्वे के मुताबिक 32 फीसदी उद्योगों को सैलरी की पेमेंट की चिंता है। इसके अलावा 20 फीसदी का कहना था कि मौजूदा मैनपावर के साथ उनके लिए काम करना महंगा होगा। 15 फीसदी ने नए ऑर्डर में कमी आने और इतने ही लोगों ने कच्चे माल की उपलब्धता को लेकर चिंता जताई।
इसके अलावा सेल्फ एंप्लॉयड लोगों की बात करें तो उनकी सबसे बड़ी चिंता ईएमआई अदा करना है। इनमें से 36 फीसदी लोगों का कहना है कि पहले हुए काम की पेमेंट हासिल करने में समस्या का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा नए ऑर्डर भी नहीं मिल पा रहे हैं, जो मिल रहे हैं, उनके लिए वाजिब दाम नहीं मिल रहा है, जिससे लाभ हो सके। अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी की ओर से किए गए एक अन्य सर्वे के मुताबिक 70 पर्सेंट रोजगार दिल्ली, गुजरात, राजस्थान, पुणे में छिना है।