डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में भारत-अमेरिका रिश्ते कई बार तनावपूर्ण रहे है। हालांकि, अरबपति कारोबारी हर्ष गोयनका ने गुरुवार को कहा कि भारत के लिए अमेरिका से साझेदारी बेहद अहम है। इसके लिए उन्होंने सात प्रमुख कारण बताए कि यह नई दिल्ली के लिए एक जरूरी रास्ता क्यों बना हुआ है। 2024-25 में दोनों देशों का व्यापार 131.84 अरब डॉलर तक पहुंच गया।
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यह क्यों रखता है मायने?
गोयनका ने अपनी पोस्ट में अमेरिका के साथ साझेदारी की अहमियत समझाने के लिए 7 बड़े पॉइंट गिनाए-
– अमेरिका अभी भी एकमात्र महाशक्ति है।
– भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार अमेरिका है, चीन नहीं।
– भारत का अमेरिका के साथ 40 अरब डॉलर का व्यापार अधिशेष है, लेकिन चीन के साथ 100 अरब डॉलर का घाटा है।
– सामरिक फायदा: रक्षा, तकनीक, नए इनोवेशन और लोकतांत्रिक सहयोग।
– संकटों में अमेरिकी समर्थन निर्णायक रहा है।
– किसी भी अन्य देश, न तो चीन और न ही रूस, पर दीर्घकालिक साझेदार के रूप में भरोसा किया जा सकता है।
– अमेरिका के साथ विश्वास का पुनर्निर्माण भारत के विकास, सुरक्षा और वैश्विक कद से जुड़ा है।
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भारत-यूएस संबंधों में तनाव?
हाल के महीनों में भारत और अमेरिका के बीच संबंध लगातार तनावपूर्ण होते गए हैं। अगस्त की शुरुआत में डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन ने आयात पर 25% टैरिफ लगाने के लिए व्यापार वार्ता (Trade Negotiations) रोक दी थी। रूसी तेल की निरंतर खरीद के लिए कुछ ही दिनों में 25% का अतिरिक्त शुल्क लागू किया जाना है।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी भारत-पाकिस्तान टकराव में अपनी भूमिका को शांतिदूत और वार्ताकार के रूप में प्रचारित किया है। हालांकि नई दिल्ली ने बार-बार इस दावे को खारिज करते हुए स्पष्टीकरण दिया है। पिछले कुछ महीनों में राष्ट्रपति ट्रंप ने करीब 35 बार जोर देकर कहा है कि उन्होंने दक्षिण एशिया में ‘परमाणु युद्ध’ को टाला है। उन्होंने युद्धविराम कराने का श्रेय भी खुद को दिया और लड़ाकू विमानों को मार गिराए जाने जैसी घटनाओं का भी ज़िक्र किया।