क्या आप जानते हैं? भारतीय क्रिकेट जगत के दिग्गज सचिन तेंदुलकर ने लाखों रुपये का टैक्स बचाने के लिए खुद को ‘एक्टर’ साबित किया था। एक दशक से भी ज्यादा समय पहले, इस क्रिकेटर का आयकर विभाग के साथ एक टैक्स नियम की व्याख्या को लेकर कानूनी विवाद चल रहा था।
TaxBuddy के फाउंडर सुजीत बांगर ने ‘X’ (Twitter) पर यह दिलचस्प मामला शेयर किया। उन्होंने लिखा, “सचिन तेंदुलकर ‘क्रिकेटर’ नहीं थे। उन्होंने 58 लाख रुपये टैक्स बचाने के लिए खुद को ‘एक्टर’ बताया था। टैक्स अधिकारी ने उन पर टैक्स की मांग की। लेकिन सचिन ने खुद को क्रिकेटर नहीं, बल्कि एक ‘एक्टर’ साबित किया और केस जीत लिया।”
कैसे शुरू हुआ ये मामला?
यह मामला उस वक्त शुरू हुआ, जब सचिन ने 2001-02 और 2004-05 में कुछ विदेशी विज्ञापनों से बढ़िया कमाई की थी। उन्होंने 5.92 करोड़ रुपये की विदेशी आय दिखाई। इस इनकम पर उन्होंने धारा 80RR के तहत 30% छूट का दावा किया, जो लगभग 1.77 करोड़ रुपये की कटौती थी।
लेकिन आयकर विभाग ने आपत्ति जताई। विभाग ने कहा, “आप एक क्रिकेटर हैं; विज्ञापन आकस्मिक हैं। इसे अन्य स्रोतों के अंतर्गत मानें; 80RR नहीं।”
इसका मतलब है कि “आप एक पेशेवर क्रिकेटर हैं; विज्ञापन से अर्जित आय आपके मुख्य पेशे से संबंधित नहीं है, इसलिए यह छूट उपलब्ध नहीं है।”
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सचिन ने क्या दिया जवाब?
सचिन ने जवाब दिया, “मैंने मॉडलिंग/अभिनय किया है। यह एक एक्टर का पेशा है; इस पर 80RR लागू होता है।” उन्होंने तर्क दिया कि उन्होंने मॉडलिंग की है या विज्ञापनों में अभिनय किया है, जो एक कलाकार का काम है और कानून के मुताबिक, एक व्यक्ति एक से अधिक पेशे अपना सकता है यानी वह एक साथ क्रिकेटर और अभिनेता दोनों हो सकता है।
क्या कहता है कानून?
आयकर अधिनियम की धारा 80RR उन पेशेवरों को टैक्स राहत प्रदान करती है जो लेखक, कलाकार, अभिनेता, संगीतकार या खिलाड़ी हैं और जिन्होंने विदेशी स्रोतों से आय अर्जित की है। ऐसे मामलों में, पूरी विदेशी आय टैक्स-फ्री होती है।
असली सवाल: क्या विज्ञापनों में दिखना अभिनय माना जाएगा?
ITAT का फैसला – “सचिन भी एक एक्टर हैं”
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आखिरी में यह मामला आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (ITAT) के पास पहुंचा। न्यायाधिकरण ने एक बेहद दिलचस्प फैसला सुनाया। उसने कहा कि ‘एक्टर’ की परिभाषा को सीमित नहीं किया जा सकता। न्यायाधिकरण ने कहा कि – “सौंदर्यपूर्ण परिणाम के लिए कौशल, कल्पना और रचनात्मकता से जुड़ा काम – मॉडलिंग/टीवी विज्ञापन अभिनय के रूप में योग्य हैं।”
इसका मतलब है कि मॉडलिंग और टीवी विज्ञापन में आवश्यक कौशल, कल्पना और रचनात्मकता अभिनय के रूप में योग्य हैं।
न्यायाधिकरण ने स्पष्ट रूप से कहा कि सचिन की विज्ञापन से होने वाली आय “कलात्मक प्रदर्शन” का परिणाम है, न कि क्रिकेट से संबंधित काम का। इसलिए, उन्हें धारा 80RR के तहत कर छूट का पात्र होना चाहिए।
नतीजन – लगभग 58 लाख रुपये की बचत
ITAT के फैसले के बाद, सचिन को 1.77 करोड़ रुपये की कटौती की अनुमति दी गई। कुल मिलाकर, उन्होंने टैक्स में लगभग 58 लाख रुपये की बचत की।
इससे हमें क्या सबक मिलता है?
इस मामले से एक अहम सबक मिलता है: एक व्यक्ति के एक से ज्यादा पेशे हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, सचिन के मामले में, जब वह कैमरे पर किसी ब्रांड का प्रचार करते हैं, तो वह न सिर्फ एक महान क्रिकेटर हैं, बल्कि एक अभिनेता भी हैं।
