GST News: जीएसटी को एक बड़े रीफॉर्म के तौर पर देखा जाता है, पिछले कुछ सालों में राजस्व में भी जिस तरह से इजाफा हुआ, माना गया कि अब टैक्सेशन की इस प्रक्रिया को सभी राज्यों ने स्वीकार कर लिया है। लेकिन अब इतने सालों बाद यहां भी कुछ बड़े बदलावों की दरकार है। ऐसा ही एक बदलाव जीएसटी के सरलीकरण करने को लेकर है, टैक्स स्लैब्स को कम करने पर विचार हो रहा है। कहा जा रहा है कि 12 फीसदी वाले टैक्स स्लैब को हटा दिया जाए।
अमित शाह क्या बड़ा काम करेंगे?
अब इस पहलू पर चर्चा पहले भी हुई है, लेकिन आम सहमति क्यों कभी बनी नहीं, ऐसे में इसे लागू नहीं किया जा सका। अब उसी आम सहमति और इस मुद्दे पर विस्तृत चर्चा के लिए गृह मंत्री अमित शाह एक्शन में आने जा रहे हैं। उनकी हितधारकों राज्य और केंद्रीय मंत्रालयों के साथ चर्चा शुरू होने जा रही है। कई लोगों के मन में सवाल है कि जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण हैं तो फिर चर्चा में गृह मंत्री अमित शाह कैसे शामिल हो रहे हैं?
शाह की सरकार को क्यों जरूरत?
असल में बात जब पार्टी लाइन से हटकर किसी राजनीतिक मुद्दे पर आम सहमति बनाने की होती है, अमित शाह की मदद ली जाती है। इससे पहले भी कई संवेदनशील मुद्दों पर ऐसे ही अमित शाह की सक्रियता दिख चुकी है, मोदी सरकार में उनका कद काफी बड़ा और महत्वपूर्ण माना जाता है। इससे पहले भी जब डिसइनवेस्टमेंट और महंगाई को लेकर चर्चा होनी थी, शाह ने एक अहम भूमिका निभाई थी। इसी कड़ी में अब वे जीएसटी को लेकर भी महत्वपूर्ण चर्चा करने जा रहे हैं।
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खत्म हो जाएगा 12% स्लैब?
असल में 12 फीसदी स्लैब को खत्म करने पर मंथन चल रहा है, वस्तुओं को फिर 5 और 18 फीसदी में ही शिफ्ट कर दिया जाएगा। इस तरह से सिर्फ तीन ही टैक्स स्लैब रह जाएंगे। यह अलग बात है कि सरकार को भी इस बात का अहसास है कि इतना बड़ा बदलाव होने से राजस्व को कुछ समय के लिए भारी नुकसान होगा, 70 से 80 हजार तक नुकसान जा सकता है। इस नुकसान वाले फैक्टर की वजह से ही हर राज्य इसके लिए तैयार नहीं है।
राज्यों में नहीं आम सहमति
जीएसटी दरों को लेकर विवाद सुरक्षा बीमा प्रीमियम से भी जुड़ा हुआ है। दो राज्य अगर पूरी तरह इन्हें टैक्स से मुक्त चाहते हैं तो कुछ 5 फीसदी तक का जीएसटी पर इस पर चाहते हैं। ऐसे में जब तक आम सहमति नहीं बन जाती, ऐसे फैसले लेना मुश्किल है। अब गृह मंत्री अमित शाह के जरिए सरकार इस दुविधा को सुलझाने की कोशिश कर रही है।
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