देश के बड़े उद्यमियों में से एक गौतम अडानी को हमेशा बड़े प्रोजेक्ट्स को लेने के लिए जाना जाता रहा है। पढ़ाई छोड़कर कुछ रुपये लेकर गुजरात से मुंबई पहुंचने वाले गौतम अडानी का कारोबारी सफर फर्श से अर्श तक पहुंचने की कहानी है। हालांकि उनकी इस राह में कई रोड़े आए हैं और दो बार तो उनकी जान ही संकट में थी। ऐसा ही एक वाकया 1 जनवरी, 1998 का है, जब गौतम अडानी को कुछ बंदूकधारियों ने किडनैप कर लिया था। अडानी और उनके साथ कार में मौजूद शख्स शांतिलाल पटेल को अगवा कर लिया गया था। कहा जाता है कि एक स्कूटर पर सवार दो बदमाशों ने उनकी कार को रुकवा लिया था।
इसके बाद एक वैन में सवार होकर कुछ लोग आए और अडानी एवं शांतिलाल पटेल को किडनैप कर लिया। पुलिस में दर्ज एफआईआर के मुताबिक इस कांड में 9 लोग शामिल थे, जिनमें रहमान दर्जी, राजा जावेद, जयेश रतिलाल दर्जी, रियाज, अकिल समेत कई अपराधियों के नाम शामिल थे। कहा जाता है कि अडानी को बदमाशों ने 15 करोड़ रुपये की फिरौती हासिल करने के बाद छोड़ा था। इस मामले में 2009 में चार्जशीट दाखिल की गई थी, लेकिन मामले की पैरवी ने किए जाने के चलते अदालत ने आरोपियों को बरी कर दिया था।
जज ने यह कहते हुए आरोपियों को बरी किया कि पीड़ित पक्ष अपहरण के केस को साबित करने में नाकाम रहा है। हालांकि यह ऐसा मामला है, जिसके बारे में अडानी ने कभी सार्वजनिक तौर पर कुछ नहीं कहा। एक बार फाइनेंशियल टाइम्स से बातचीत में उन्होंने यह बात जरूर कही थी कि जिंदगी में दो से तीन ऐसी घटनाएं है, जिनके बारे में मैं बात नहीं करना चाहता। वे बेहद बुरे अनुभव थे।
आतंकी हमले में भी बाल-बाल बचे थे अडानी: यही नहीं मुंबई में हुए आतंकी हमले में भी गौतम अडानी बाल-बाल बचे थे। हमले के दौरान अडानी होटल के बेसमेंट में छिप गए थे और तभी बाहर निकले जब आतंकियों का कमांडोज ने खात्मा कर दिया। 26 नवंबर, 2008 को हुई इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना में 160 लोगों की मौत हो गई थी। आतंकी हमले के बारे में बताते हुए अडानी ने बाद में कहा था, ‘मैंने मौत को सिर्फ 15 फुट की दूरी से देखा था।’