हाल ही में अडानी ग्रुप ने इजराइल के सबसे बड़े बंदरगाहों में से एक हाइफा की बोली 1.18 बिलियन डॉलर में जीती है। अब अडानी ग्रुप की ओर से बोली जीतने पर इजरायली मीडिया की प्रतिक्रिया आई है। इजरायली मीडिया का कहना है कि “जब खरीदार इसे रणनीतिक खरीद मान रहा है तो वहां पर कीमत अधिक महत्वपूर्ण नहीं रह जाती” है। इस पोर्ट के लिए अडानी ग्रुप की कंपनी अडानी पोर्ट ने इजराइल की केमिकल और लॉजिस्टिक कंपनी गैडोट के साथ मिलकर बोली लगाई है। इस साझेदारी में अडानी पोर्ट की 70 फीसदी हिस्सेदारी है जबकि गैडोट की हिस्सेदारी 30 फीसदी है।
हाइफा पोर्ट के लिए अडानी ग्रुप की ओर से बोली लगाने पर एक इजरायली मीडिया ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि अडानी ग्रुप ने इस पोर्ट के लिए इजरायली सरकार की ओर से लगाए गए आकलन से भी अधिक बोली लगाई है। पोर्ट के लिए बोली जीतने के बाद अडानी ग्रुप का कहना है कि यह उसके लिए एक रणनीतिक खरीद, फिर कीमत कम महत्वपूर्ण हो जाती है। इसके साथ ही रिपोर्ट में कहा गया कि जो भी कंपनियां बंदरगाह के लिए अडानी ग्रुप के साथ बोली लगा रही थीं। अडानी ग्रुप का ऑफर सुनते ही, वह सभी कंपनियां बोली से पीछे हट गईं।
वहीं, एक राष्ट्रीय अखबार ने लिखा कि गौतम अडानी के पास इंफ्रास्ट्रक्चर में बड़ा कारोबार है। वह भारत के पीएम मोदी के अच्छे दोस्त हैं और एशिया के सबसे अमीर आदमी भी हैं। उन्होंने सरकारी पोर्ट हाइफा के लिए स्थानी इजरायली कंपनी के साथ मिलकर गैडोट के साथ मिलकर बोली जीती है।
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि पश्चिमी एशिया में अडानी ग्रुप की कोई पकड़ नहीं है इसलिए इजराइल का हाइफा पोर्ट उनके लिए काफी महत्वपूर्ण है। इसके लिए हाइफा को भूमध्य सागर में एक हब के रूप में विकसित करने की आवश्यकता है।
बोली जीतने पर अडानी ग्रुप के मुखिया गौतम अडानी ने ट्वीट किया है कि इजराइल में अपने साझेदार गैडोट के साथ हाइफा पोर्ट के निजीकरण के टेंडर को जीतने की काफी खुशी है। दोनों देशों (भारत और इजराइल) के लिए इसका सामरिक और ऐतिहासिक महत्व है। हाइफा में होने पर गर्व है, जहां 1918 में भारतीयों के नेतृत्व में सैन्य इतिहास के सबसे बड़ा घुड़सवार सेना का अभियान चलाया गया।