देश के कुल 24 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में ‘वन नेशन, वन राशन कार्ड’ स्कीम लागू हो चुकी है। इन राज्यों में हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, झारखंड, आंध्र प्रदेश, दादर एवं नागर हवेली और दमन दीव, गोवा, गुजरात, बिहार, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, केरल और मध्य प्रदेश शामिल हैं। इनके अलावा महाराष्ट्र, मिजोरम, नगालैंड, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, सिक्किम, तेलंगाना, त्रिपुरा में यह स्कीम लागू हो गई है। हालांकि अब भी पश्चिम बंगाल, दिल्ली, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, असम, अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्य इस स्कीम से नहीं जुड़ सके हैं।

इसके अलावा लक्षद्वीप, चंडीगढ़, लद्दाख, मेघालय जैसे राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में भी इस स्कीम के लागू होने का इंतजार है। 1 अगस्त से लागू हुई इस योजना के तहत अब इन 24 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में दूसरे क्षेत्रों के नागरिकों को भी राशन मिल सकेगा। दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने भी राजधानी में इस स्कीम को लागू करने की बात कही है। हालांकि इसमें अभी कुछ महीनों का वक्त लग सकता है क्योंकि राज्य सरकार ‘घर-घर राशन योजना’ के साथ ही इसकी लॉन्चिंग करने की तैयारी में है।

ममता सरकार उदासीन, पीएम किसान योजना भी नहीं की लागू: पश्चिम बंगाल सरकार इस स्कीम को लेकर भी उदासीन नजर आ रही है। इसी साल फरवरी में ममता सरकार के खाद्य मंत्री ज्योतिप्रिय मलिक ने कहा था कि हमें इस संबंध में केंद्र सरकार से कोई जानकारी नहीं मिली है। इस स्कीम से पश्चिम बंगाल के जुड़ने का कोई सवाल ही नहीं उठता। उनका कहना था कि पश्चिम बंगाल सरकार पहले ही डिजिटल राशन कार्ड तैयार करने पर 200 करोड़ रुपये की रकम खर्च कर चुकी है। ऐसे में उस राशि को कौन वापस करेगा? हम इस स्कीम को लागू नहीं करेंगे। गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल सरकार ने पीएम किसान सम्मान निधि योजना को भी राज्य में लागू नहीं किया है। इस स्कीम से देश में अब तक करीब 10 करोड़ किसान जुड़ चुके हैं और 2000 रुपये की 5 किस्तें जारी की जा चुकी हैं।

65 करोड़ लाभार्थियों को मिलेगा लाभ: देश के 24 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के वन नेशन वन राशन कार्ड स्कीम से जुड़ने से 65 करोड़ लाभार्थियों को फायदा होगा। फिलहाल देश में खाद्य सुरक्षा योजना के कुल 81 करोड़ लाभार्थी हैं। सरकार ने अन्य राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को मार्च, 2021 तक इस स्कीम से जोड़ने का लक्ष्य तय किया है।